खुदरा व्यापार नीति में कारोबारियों का बीमा! | श्रेया नंदी / नई दिल्ली January 09, 2022 | | | | |
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) जल्द ही राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति के लिए सार्वजनिक विमर्श शुरू करेगा। इसमें चोरी, दुर्घटना या किसी प्राकृतिक आपदा से कारोबारियों की सुरक्षा के लिए एक बीमा योजना शामिल किए जाने के आसार हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि नीति में कारोबारियों की मदद के लिए उन्हें कम लागत का ऋण सुविधा मुहैया कराने, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देने और उपयुक्त बुनियादी ढांचा तैयार करने के तरीकों की घोषणा की जाएगी।
सरकार के इस कदम से खासकर परंपरागत कारोबारियों को मदद मिलने की संभावना है, जिन्हें बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। इन कारोबारियों की शिकायत है कि ये विदेशी निवेश वाली बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अवैध कारोबारी हथकंडे अपना रही हैं। यह नीति ऐसे समय लागू की जा रही है, जब सरकार ई-कॉमर्स क्षेत्र में नियम कड़े करने के लिए प्रस्तावित कुछ नियमों में ढील देने के बारे में विचार कर रही है। उद्योग के लॉबी समूह भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और वैश्विक सलाहकार कंपनी कार्नी द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में खुदरा तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद में 12 फीसदी से अधिक सकल मूल्य योगदान है। यह क्षेत्र पांच करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
अधिकारी ने कहा, 'प्रस्तावित राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति का मकसद देश में किराना दुकानों को मदद एवं प्रोत्साहन देना और कारोबारियों का कल्याण है। हम कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उनका अनुपालन बोझ हल्का करने के तरीके तलाश रहे हैं।' अधिकारी ने कहा, 'पहले से मौजूद एक पेंशन योजना की तरह अन्य तरीका उन्हें किसी दुर्घटना, चोरी या किसी प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए बीमा पॉलिसी हो सकती है। आसानी से ऋण उपलब्धता और कर्ज की कम लागत भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं।' उन्होंने कहा कि ऐसी नीतियों का क्रियान्वयन वित्त मंत्रालय करेगा।
पिछले साल केंद्र ने थोक और खुदरा कारोबार को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) की श्रेणी में शामिल किया था ताकि छोटे कारोबारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वर्गीकृत प्राथमिक क्षेत्रों के तहत कर्ज हासिल करने के लिए पात्र हों। अधिकारी ने कहा कि उन्हें कर्ज हासिल करने में मदद देने के लिए और कदम उठाने जाने की जरूरत है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान खास तौर पर छोटे उद्यमों के लिए बहुत सी ऋण योजनाओं की घोषणा की है। हालाांकि उनमें खुदरा कारोबारियों को शामिल नहीं किया गया।
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, 'राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति एक सुविधा योजना है, जो देश में आंतरिक व्यापार के विभिन्न पहलुओं में मदद करेगी। नीति में कारोबार को आसान बनाने, कार्यस्थलों पर महिलाओं और खुदरा काराबोर के लिए ऋण जैसी विभिन्न जरूरतों पर विचार किया जाएगा।' डीपीआईआईटी इस नीति के अलावा ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) को शुरू करने की अगुआई कर रहा है, जिसका मकसद डिजिटल एकाधिकारों पर अंकुश लगाना और खुदरा उद्यमों को लाभ मुहैया कराना है।
|