सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए लाई गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ने 13.5 लाख एमएसएमई खातों को बंद होने से बचाने, करीब 1.5 करोड़ नौकरियों को बचाने और बकाये एमएसएमई ऋणों के 14 फीसदी को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदलने से रोकने में सफलता पाई है। यह जानकारी भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट से सामने आई है। मोदी सरकार ने आर्थिक गतिविधि को पटरी पर लाने के लिए इस महत्त्वपूर्ण योजना की शुरुआत की थी। एसबीआई के मुख्य आथिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट को आज जारी किया गया। यह कहती है कि मई 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा योजना के आरंभ के बाद से 1.8 लाख करोड़ रुपये के एमएसएमई खाते एनपीए होने से बच गए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारे विश्लेषण के मुताबिक यदि ये इकाइयां बंद हो जातीं तो 1.5 करोड़ श्रमिक बेरोजगार हो जाते। इस प्रकार से यदि मानकर चलें कि श्रमिक अपने सहित चार लोगों का निर्वहन करता है तो ईसीएलजी योजना ने 6 करोड़ लोगों की आजीविका बचा ली।' घोष द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 13.5 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम खाते ईसीएलजीएस के कारण बच गए। इनमें से 93.7 फीसदी इकाइयां सूक्ष्म और लघु श्रेणी की हैं। घोष ने कहा कि एसबीआई के विश्लेषण के मुताबिक किराना की छोटी दुकानों सहित व्यापारिक क्षेत्र को इस योजना से सर्वाधिक लाभ पहुंचा है जिसके बाद खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और वाणिज्यिक रियल एस्टेट का स्थान है। उन्होंने कहा कि राज्यवार देखा जाए तो योजना का सर्वाधिक लाभ गुजरात को मिला, इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को मिला।घोष ने यह भी कहा कि सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट नाम की पुरानी योजना को भी ईसीएलजीएस की अच्छा बातों को शामिल कर सुधारा जा सकता है। इसके दायरे और भूमिका में विस्तार किया जाना चाहिए और इसे अमेरिकी लघु कारोबारी प्रशासन की तर्ज पर चलाया जाना चाहिए। घोष ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि ईसीएलजीएस के प्रभाव पर अपनी शोध के लिए उनकी टीम ने एसबीआई पोर्टफोलियो में रुझान के आधार पर बैंकिंग प्रणाली के लिए विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) के आंकडों का विश्लेषण किया है ताकि संपत्ति गुणवत्ता के संदर्भ में इसीएलजीएस से मिलने वाले लाभों का पता लगाया जा सके।
