राज्यों के चुनावों की घोषणा किसी भी वक्त | आदिति फडणीस / January 06, 2022 | | | | |
देश में कोविड-19 महामारी का शिकंजा फिर से गहराने लगा है। इस बीच पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। भारत का निर्वाचन आयोग उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक सवाल का जवाब देने की तैयारी कर रहा है जिसमें यह पूछा गया है कि क्या राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वर्चुअल चुनाव प्रचार और ऑनलाइन मतदान संभव है या नहीं। निर्वाचन आयोग के पास अगली सुनवाई की तारीख यानी 12 जनवरी तक इसका जवाब देने का वक्त है। गुरुवार को निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के साथ एक बैठक कर टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने का इंतजाम करने का आग्रह किया है। इससे पहले के चुनावों (बिहार 2020 में और पश्चिम बंगाल में 2021 के चुनाव) में चुनाव प्रचार के बाबत विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए थे। लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार या मतदान के लिए कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। निश्चित तौर पर निर्वाचन आयोग की सक्रियता चुनावों की घोषणा और आचार संहिता लागू होने के बाद ही बढ़ेगी।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश एस के मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा के एक खंडपीठ ने कहा है कि निर्वाचन आयोग के पैनल को वर्चुअल रैली और ऑनलाइन मतदान पर फैसला करना चाहिए और 12 जनवरी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत को इसकी सूचना देनी होगी। अदालत ने बुधवार को अदालत में कहा, 'निर्वाचन आयोग को आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए बड़ी जनसभाओं और रैलियों को रोकने के लिए उचित दिशानिर्देश देने पर विचार करना चाहिए और इस बाबत फैसला करना चाहिए। निर्वाचन आयोग को ïवर्चुअल तरीके से प्रचार के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार करना चाहिए। हम निर्वाचन आयोग से यह भी आग्रह करते हैं कि वह भविष्य में वर्चुअल मतदान पर विचार करे।' ऐसे में निर्वाचन आयोग का 12 तारीख को दिया जाने वाला जवाब अहम होगा क्योंकि इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने भी निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था, 'आपकी संस्था ही देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए अकेले जिम्मेदार है। आपके अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। जब चुनावी रैलियां चल रही थीं तब क्या आप दूसरे ग्रह पर थे?' हालांकि अदालत के आदेश में बाद मेंं सिर्फ इतना ही कहा गया कि आगे संक्रमण की बढ़ोतरी में मतगणना किसी भी कीमत पर जिम्मेदार नहीं बननी चाहिए।
पूर्व निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में चुनाव एक महीने तक करीब 6-7 चरणों में होंगे और चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी से जरूर शुरू हो जानी चाहिए। कानून के मुताबिक 26 दिनों की चुनाव प्रक्रिया होनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि पहले चरण की अधिसूचना 15 जनवरी तक जारी हो जानी चाहिए। अधिसूचना से पहले निर्वाचन आयोग के पास अधिकतम 21 दिनों का वक्त है। इसका अर्थ यह हुआ कि चुनाव की घोषणा 25 दिसंबर तक हो जानी चाहिए थी।' तत्काल घोषणा इस वजह से भी जरूरी है क्योंकि राजनीतिक दलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि निर्वाचन आयोग के आदेश के बगैर वे चुनावी रैलियां नहीं टालेंगे।
कानूनी विशेषज्ञ और निर्वाचन आयोग के कानूनी सलाहकार एस के मेंदीरत्ता का कहना है कि अद्यतन मतदाता सूचियों की वजह से चुनाव की अधिसूचना में देरी हो रही है। वह कहते हैं, 'हम किसी को भी मतदाता सूची से बाहर नहीं छोड़ सकते हैं। सूची में 1 जनवरी, 2022 तक का अपडेट होना चाहिए।' हालांकि जहां तक ऑनलाइन वोटिंग की बात है तो इस बार मतदाताओं के लिए घर से मतदान करना संभव नहीं हो पाएगा।
|