केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) नवंबर में लगातार दूसरे महीने कम हुआ है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इसमें आधे से ज्यादा की गिरावट आई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंत्रालयों व विभागों से इस मद में ज्यादा व्यय करने को कह रही हैं, उसके बावजूद यह कमी आई है। इससे चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। बहरहाल कुछ राज्यों की ओर से इस मामले में कुछ समर्थन मिला है, जिन्होंने केंद्र द्वारा हस्तांतरण बढ़ाने के बाद पूंजीगत व्यय बढ़ाया है। अक्टूबर में केंद्र का कैपेक्स 24.11 प्रतिशत कम हुआ था। इस साल नवंबर में केंद्र ने 20,360 करोड़ रुपये कैपेक्स के रूप में खर्च किए हैं, जो एक साल पहले 43,803 रुपये था। इस साल अक्टूबर महीने में 23,919 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि पिछले साल के समान महीने में 31,519 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लेखा महानियंत्रक और नियंत्रक एवं एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से जारी आंकड़ों से यह पता चलता है। सरकार ने वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही के पहले दो महीने में पूंजीगत व्यय 41.21 प्रतिशत घटाकर 44,279 करोड़ रुपये कर दिया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 75,322 करोड़ रुपये खर्च किए थे। सितंबर तक सरकार ने 38.29 प्रतिशत ज्यादा पूंजीगत व्यय किया था और यह 2.29 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों के मुताबिक सरकार का अक्टूबर और नवंबर में मिलाकर किया गया पूंजीगत व्यय सितंबर के 57,483 करोड़ रुपये व्यय से कम था। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'यह तीसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि की गुणवत्ता और गति के हिसाब से शुभ संकेत नही है।'बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि केंद्र का कम व्यय निश्चित रूप से वृद्धि को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, 'लेकिन सरकार ने अक्टूबर में विभागों से खर्च बढ़ाने को कहा है और इसलिए चौथी तिमाही में निवेश बढ़ा सकते हैं। इससे वृद्धि का असर टल जाएगा। मुझे नहीं लगता कि राजकोषीय घाटे को काबू में पाने के लिए पूंजीगत व्यय घटाने सकी कवायद की गई है।' सबनवीस ने कहा कि राजस्व में वृद्धि बेहतर है, ऐसे में अब कटौती की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र का निवेश अभी भी पीछे है और कुछ क्षेत्रों में ही निवेश हो रहा है। सीतारमण ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के पूंजीगत व्यय की समीक्षा की है और उन्हें व्यय बढ़ाने को कहा है। पिछले महीने उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि बुनियादी ढांचा से जुड़े मंत्रालय अपना सुस्त प्रदर्शन दुरुस्त करें और उनके उत्पादक व्यय करने पर जोर दिया था, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सके। नायर का माना है कि ज्यादा हस्तांतरण की वजह से चुनिंदा राज्यों में कैपेक्स में वृद्धि हुई है। इससे जीडीपी को कुछ समर्थन मिल सकता है।पांच औद्योगिक राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का पूंजीगत व्यय नवंबर में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 40 प्रतिशत बढ़ा है। अगर गुजरात और आंध्र प्रदेश को बी सूची में शामिल कर लिया जाए (जिनके नवंबर के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं) तो 7 राज्यों का कुल पूंजीगत व्यय अक्टूबर महीने में 45 प्रतिशत बढ़ जाएगा। सितंबर तक उनके पूंजीगत व्यय में 75.31 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इस हिसाब से भी अक्टूबर और नवंबर में कुछ सुस्ती है। यह नवंबर में आंशिक रूप से महाराष्ट्र के पूंजीगत व्यय में 22 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में अक्टूबर में 27 प्रतिशत संकुचन की वजह से भी हुआ है।
