दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर-एमेजॉन विवाद को लेकर सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में जारी सुनवाई को निरस्त करने की मांग वाली फ्यूचर समूह की रिट याचिका आज खारिज कर दी। सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में एमेजॉन ने फ्यूचर समूह का रिलायंस रिटेल के साथ सौदे पर आपत्ति जताई थी। फ्यूचर ने रिलायंस के साथ अगस्त 2020 में सौदा करने की घोषणा की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, 'मध्यस्थता पंचाट सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के अंतर्गत नहीं आता है। यह मध्यस्थता पंचाट का विवेकाधिकार है कि वह अपने हिसाब से मामले की सुनवाई करे। अदालत इस मसले पर हस्तक्षेप नहीं करेगी क्योंकि यह मध्यस्थता पंचाट की निहित स्वायत्तता का उल्लंघन होगा।' कैप्सटोन लीगल में मैनेजिंग पार्टनर आशिष कुमार सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मध्यस्थता पंचाट से संबंधित मामला भारतीय संविधान की धारा 227 के तहत अदालत के न्यायिक क्षेत्र में नहीं आता है। मध्यस्थता सुनवाई में हस्तक्षेप की सीमित गुंजाइश होती है और अदालत स्वतंत्र रूप से गठित पंचाट की सुनवाई में हस्तक्षेप नहीं करेगा। दिसंबर 2021 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एमेजॉन के 2019 में फ्यूचर कूपन्स के साथ किए गए सौदे को निलंबित कर दिया था। इसमें तर्क दिया गया था कि सौदे को लेकर उद्देश्य और दायरे से संबंधित जानकारी को जानबूझकर छिपाया गया था। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा था कि उसने इस सौदे का नए सिरे से मूल्यांकन करनेे पर विचार किया है। सीसीआई ने एमेजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उसे आदेश की प्रति मिलने के 60 दिन के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया था। एमेजॉन अक्टूबर 2020 में फ्यूचर-रिलायंस रिटेल के सौदे को लेकर सिंगापुर मध्यस्थता पंचाट पहुंची थी। उसका तर्क था कि किशोर बियाणी के नेतृत्व वाली फ्यूचर ने गैर-प्रतिस्पर्धी समझौते का उल्लंघन किया है। सौदे में इसका जिक्र किया गया था कि विवाद की स्थिति में मामले का निपटारा सिंगापुर मध्यस्थता पंचाट के नियमों के अनुसार किया जाएगा। मध्यस्थता पंचाट ने एमेजॉन के पक्ष में फैसला सुनाया था। नवंबर 2020 में फ्यूचर समूह दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा और रिलायंस के साथ उसके सौदे में एमेजॉन द्वारा बाधा खड़ी करने का आरोप लगाया। उसके बाद से एमेजॉन और फ्यूचर समूह कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। किशोर बियाणी के फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ 3.4 अरब डॉलर का सौदा किया था। अगस्त 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी एमेजॉन के पक्ष में फैसला दिया था और सिंगापुर मध्यस्थता के आदेश को भारत में प्रवर्तन योग्य करार दिया था। लेकिन फ्यूचर को राहत देते हुए अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल सितंबर में दिए गए आदेश पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट, सीसीआई और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड को इस मामले में चार हफ्ते तक कोई अंतिम आदेश पारित करने से भी मना कर दिया था।
