'हीरो' ब्रांड पर मुंजाल बंधुओं में छिड़ी कानूनी जंग | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली January 03, 2022 | | | | |
मुंजाल परिवार के दो वारिसों के बीच अपने इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार के लिए हीरो ब्रांड के उपयोग के अधिकार को लेकर कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। हीरो इलेक्ट्रिक के मालिक विजय मुंजाल और उनके बेटे नवीन मुंजाल अपने चचेरे भाई और हीरो मोटोकॉर्प के प्रवर्तक एवं चेयरमैन पवन मुंजाल के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गए हैं। उन्होंने अदालत से हीरो मोटोकॉर्प को उसके आने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए हीरो ब्रांड नाम के इस्तेमाल से रोकने के लिए याचिका दायर की है।
दोनों मुंजाल ने अदालती लड़ाई के लिए आधा दर्जन से ज्यादा प्रतिष्ठिïत वकीलों को नियुक्त किया है। विजय मुंजाल ने लॉ फर्म खेतान ऐंड कंपनी को नियुक्त किया है और वकीलों की टीम तैयार की है जिसमें पूर्व सोलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम, पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ए एस चंडोक जैसे जाने-माने वकील हैं। दूसरी ओर पवन मुंजाल ने अग्रवाल लॉ एसोसिएट्स की सेवाएं ली हैं और अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव नायर जैसे वकीलों की टीम को इस मामले का जिम्मा सौंपा है। मामले की सुनवाई 5 जनवरी को होगी।
यह कानूनी लड़ाई ऐसे समय में शुरू हुई है जब देश की सबसे बड़ी दोपहिया कंपनी हीरो मोटोकॉर्प इस साल मार्च में ईवी कारोबार में उतरने जा रही है। कंपनी का पहला ईवी उत्पाद स्कूटर होगा, जो सीधे तौर पर हीरो इलेक्ट्रिक को प्रतिस्पर्धा देगा। हीरो इलेक्ट्रिक और हीरो मोटोकॉर्प के प्रवक्ताओं ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की। घटनाक्रम के जानकार एक शख्स ने कहा कि विजय मुंजाल समूह ने ब्रांड के स्वामित्व को लेकर विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता का अनुरोध किया है और दिल्ली उच्च न्यायालय में हीरो मोटोकॉर्प को मध्यस्थता होने तक हीरो ब्रांड के उपयोग से रोकने के लिए याचिका दायर की है।
2010 में पारिवारिक समझौते के अनुसार मुंजाल परिवार के चार वारिसों ने इस पर सहमति जताई थी कि परिवार के दो या अधिक समूहों के बीच विवा होने पर मध्यस्थता के जरिये मामले को सुलझाया जाएगा और इसमें विफल रहने पर मध्यस्थता पंचाट में मामला जाएगा। उक्त शख्स ने कहा, 'मध्यस्थता नोटिस कुछ समय पहले दिया गया था लेकिन हीरो मोटोकॉर्प की ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया, जिसकी वजह से विजय मुंजाल समूह को ब्रांड के उपयोग पर रोक के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय जाना पड़ा।' मुंजाल परिवार के एकीकृत कारोबार में करीब 20 कंपनियां हैं और कारोबार की कमान तीसरी पीढ़ी को सौंपे जाने के बावजूद अब तक किसी तरह का विवाद सामने नहीं आया है।
वर्ष 2010 में मुंजाल परिवार ने 20 से ज्यादा कंपनियों में अपनी क्रॉस होल्डिंग को इस तरह से सुलझाया था जिससे परिवार के प्रत्येक धड़े को उनके द्वारा संचालित कारोबार का स्वामित्व मिल सके। कारोबार को बृज मोहन लाल मुंजाल (पवन मुंजाल के पिता) और उनके तीन भाइयों - ओपी मुंजाल, सत्यानंद मुंजाल और दिवंगत दयानंद मुंजाल (विजय मुंजाल) के बीच बांटा गया था। इसके अनुसार बीएम मुंजाल के चारों बेटों - पवन कांत, सुनील कांत, सुमन कांत और स्वर्गीय रमन कांत को हीरो होंडा (बाद में हीरो मोटोकॉर्प) का स्वामित्व मिला, विजय मुंजाल समूह को भारत तथा विदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को हीरो ब्रांड के तहत बेचने का अधिकार मिला।
विजय मुंजाल के बेटे और हीरो इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल ने पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि वह ब्रांड पर अपने परिवार के अधिकार को लेकर कानूनी लड़ाई से भी पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा था, 'हम ब्रांड पर अपने अधिकार की रक्षा के लिए सभी समुचित उपाय करेंगे और इलेक्ट्रिक एवं पर्यावरण अनुकूल वाहनों के लिए अपने अधिकारों के हनन को रोकेंगे।'
|