देश की प्रमुख दूरसंचार कंपनी जियो को एरिक्सन, नोकिया नेटवक्र्स, सिस्को, डेल जैसी विभिन्न वेंडर कंपनियों के उपकरण इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई है। इन वेंडर कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने 'भरोसेमंद स्रोत' घोषित किया है। इस कदम से दूरसंचार कंपनियां 5जी की शुरुआत करने के लिए इन वेंडरों को विशेष उपकरणों का ऑर्डर दे पाएंगी। हालांकि दूरसंचार कंपनियां वेंडरों से जो उपकरण खरीदना चाहती हैं, उन्हें नेटवर्क में इस्तेमाल करने से पहले उनके लिए दूसरे स्तर की मंजूरी 'भरोसेमंद उत्पाद' का प्रमाणन हासिल करना होगा। हालांकि जियो दिग्गज दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग को एक 'भरोसेमंद स्रोत' के रूप में इस्तेमाल करने की मंजूरी का इंतजार कर रही है। सैमसंग के आवेदन पर अभी विचार किया जा रहा है। सैमसंग ने जियो को 4जी नेटवर्क मुहैया कराया था। यह जियो के साथ 5जी के लिए कुछ शहरों में परीक्षण कर रही है। हालांकि रिलायंस जियो ने खुद का नेटवर्क एवं तकनीक विकसित की है, जिसका परीक्षण चल रहा है। रिलायंस जियो के एक प्रवक्ता ने इसके बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सैमसंग के प्रवक्ता ने सवाल का जवाब नहीं दिया। एरिक्सन, नोकिया और सिस्को ने भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि सरकार ने चीन की दूरसंचार उपकरण विनिर्माता हुआवे टेक्नोलॉजीज से अन्य कई दस्तावेज मांगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस कंपनी के आवेदन दायर करने की प्रक्रिया चल रही है। चीन की यह कंपनी 'भरोसेमंद स्रोत' के टैग के बिना देश में किसी 5जी दूरसंचार उपकरण की बिक्री नहीं कर पाएगी। दूरसंचार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों में आपूर्तिकर्ता कंपनियों के लिए उन सभी दूरसंचार उपकरणों पर 'भरोसेमंद' का टैग हासिल करना अनिवार्य बनाया गया है, जिन्हें दूरसंचार कंपनियां मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) से खरीदना चाहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा चीन की दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं पर बंदिशों के लिए किया गया है, लेकिन कुछ देशों की तरह उन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अगुआई वाली दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति इस बारे में विचार करेगी कि किसे टैग दिया जाए। यह कदम अमेरिका के अपने वैश्विक सहयोगियों को चीनी दूरसंचार उपकरण नहीं खरीदने के लिए कहने के बाद उठाया गया है क्योंकि ऐसे उपकरण कथित रूप से जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। हालांकि हुआवे ने इससे इनकार किया है। ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने चीन की दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इसके नतीजतन भारतीय ओईएम को बहुत सी जानकारियां देनी पड़ेंगी, जिनमें उत्पाद, संगठन, तीन स्तरों तक उसके शीर्ष शेयरधारक, विनिर्माण के देश या स्वामित्व में किसी बदलाव आदि के बारे में जानकारियां शामिल हैं। सक्रिय कलपुर्जे, उनके विनिर्माता, उनके वैश्विक मुख्यालय की जगह और बौद्धिक संपदा अधिकार के देश आदि के बारे में जानकारियां देनी होंगी। सॉफ्टवेयर के मामले में मालिक के वैश्विक मुख्यालय, उप-अनुबंधक और जिस देश से उन्नत किया जाएगा, उस देश की जानकारियां देनी होंगी।
