भारत के निर्यात के मुख्य केंद्रों पर कोविड-19 का नया रूप ओमीक्रोन तेजी से फैल रहा है, जिसे देखते हुए भारत के निर्यात पर अनिश्चितता के बादल छा रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में प्रति दिन कोविड-19 के 1 लाख से ज्यादा मामले आ रहे हैं। ऐसे में निर्यातकों को भविष्य में कुछ व्यवधान की उम्मीद है। बहरहाल भारत से विदेश भेजी जाने वाली खेप में तत्काल कोई गिरावट आने की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि अभी कम से कम अगले कुछ सप्ताहों के लिए ऑर्डर बुक मजबूत बनी हुई है। इंजीनियरिंग ऐंड एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया (ईईपीसी) के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा, 'इंजीनियरिंग निर्यातकों के पास 4 सप्ताह के लिए ऑर्डर है। किसी भी स्थिति में जनवरी के पहले सप्ताह तक बंदी की स्थिति है। उसके बाद निर्यातकों को स्थिति और वायरस के असर के बारे में और सूचना मिलेगी।' अर्थशास्त्रियों और उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 के हाल के वैरिएंट का असर दो सप्ताह तक सीमित रह सकता है, जब तक कि लॉजिस्टिक्स में कोई बड़ा व्यवधान न हो या विनिर्माण गतिविधि पूरी तरह से ठप न पड़ जाए। इसके अलावा इस तरह के व्यवधान से निपटने के लिए विभिन्न देश अब तुलनात्मक रूप से 2020 से बेहतर स्थिति में हैं, जब कोविड-19 आया था और पूरी दुनिया में फैल गया था। केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के मुताबिक नए वैरिएंट से निर्यात की वृद्धि पर असर पड़ सकता है, लेकिन किसी उल्लेखनीय गिरावट की संभावना नहीं है। सबनवीस ने कहा, 'अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्से में ओमीक्रोन के नए मामलों में बढ़ोतरी जारी है, लेकिन इन देशों में विनिर्माण गतिविधियां प्रभावित नहीं हुई हैं, जैसी कि पहले हुई थी। ऐसे में उनका पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग सामान, दवा के अलावा अन्य सामान का भारत के आयात प्रभावित होने की संभावना कम है। तात्कालिक असर सेवाओं के निर्यात पर दिख सकता है।' चालू वित्त वर्ष में भारत ने 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है, जिसमें से भारत ने 2021-22 के पहले 9 माह में दो तिहाई लक्ष्य पूरा कर लिया है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के मुख्य कार्याधिकारी और महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, 'कुल मिलाकर निर्यात में वृद्धि अभी पटरी पर है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी नई योजनाएं निर्यात में वृद्धि को गति देंगी।' बहरहाल इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि निर्यात के मूल्य में कोई उल्लेखनीय कमी आने की संभावना नहीं है, हालांकि आने वाले दिनों में 2021 के उच्च आधार के कारण निर्यात की रफ्तार तुलनात्मक रूप से सुस्त नजर आ सकती है। पंत ने कहा, 'वित्त वर्ष 22 में कम आधार का लाभ मिला था। परिणामस्वरूप इस वित्त वर्ष में वृद्धि दर ज्यादा रही है। इस साल के आधार पर मजबूत वृद्धि जारी रहने की संभावना कम है।'
