बिगड़ सकती है बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता | अनूप रॉय / मुंबई December 29, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि आने वाले समय में भारतीय बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता बिगड़ सकती है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि बैंकों के पास इस समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त पूंजी मौजूद होगी। ये बातें आरबीआई की द्विमासिक वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में सामने आई हैं।
मंगलवार को सार्वजनिक हुई आरबीआई की 'ट्रेड््स ऐंड प्रोग्रेस' में भी ऐसी ही बातें कही गई हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव देखा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार नियामकीय स्तर पर दी गई ढील और परिसंपत्ति वर्गीकरण पर अस्थायी रोक आने वाले कुछ महीनों में परिसंपत्ति गुणवत्ता प्रभावित कर सकती हैं।
एफएसार में कहा गया है, 'दुनिया में नीतिगत स्तर पर दृष्टिकोण में बदलाव और आपूर्ति व्यवस्था से महंगाई में इजाफा जोखिम का करण बन सकते हैं।' आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-मई में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की चोट झेलने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। दास ने कहा, 'देश में कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान गति पकडऩे के बीच उपभोक्ताओं का विश्वास और कारोबारी संभावनाएं तेजी से मजबूत हो रहे हैं।'
अर्थव्यवस्था में सुधार निजी निवेश में बढ़ोतरी के साथ निजी उपभोग पर निर्भर हैं। ये दोनों ही चीजें कोविड महामारी से पूर्व के स्तर से नीचे हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'कोविड महामारी से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने के बाद अनिश्चितता एवं हतााश का माहौल पैदा हो गया था और हालात काफी चुनौतीपूर्ण हो गए थे। मगर भारतीय वित्तीय प्रणाली ने पूरी मुस्तैदी और मजबूती से प्रतिकूल हालात का सामना किया और आगे भी अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरी करने के लिए तैयार है।'
देश की बैंकिंग प्रणाली में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) सितंबर की 6.9 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2022 में 8.1 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकती हैं। अगर हालात काफी मुश्किल रहे तो यह आंकउ़ा 9.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। एफएसआर में कहा गया है, 'हालांकि गंभीर हालात में भी सभी बैंक न्यूनतम पूंजी की आवश्यकता पूरी करने की स्थिति में होंगे।'
इस वर्ष सितंबर में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 8.8 प्रतिशत था मगर सितंबर 2022 में यह बढ़कर 10.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। जहां तक निजी क्षेत्र के बैंकों की बात है तो उनका सकल एनपीए 4.6 प्रतिशत से बढ़कर 5.2 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। सितंबर 2022 तक विदेशी बैंकों का सकल एनपीए 3.2 प्रतिशत से बढ़कर उनकी परिसंपत्तियों का 3.9 प्रतिशत तक हो सकता है।
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां और यूएसबी को तरलता के मोर्चे पर कमजोरी को लेकर चौकन्ना रहना होगा और मजबूत संपत्ति-देनदारी प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा। यह सब उन्हें अपने ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में सुधार लाने के अलावा करना होगा।
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