यूपी में 9 मेडिकल कॉलेजों के लिए 17 प्रस्ताव | बीएस संवाददाता / लखनऊ December 29, 2021 | | | | |
उत्तर प्रदेश में निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर बनने वाले मेडिकल कॉलेजों के लिए बड़े पैमाने पर निजी निवेशक सामने आए हैं।
प्रदेश के 9 जिलों में पीपीपी मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए 17 निवेशकों ने पहल की है। इसके अलावा मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़े निवेशक राज्य के कई जिलों में निवेश कर रहे हैं। प्रदेश के हर जिले मे मेडिकल कॉलेज खोलने के योगी सरकार के फैसले के तहत निजी क्षेत्र की मदद ली जानी है। इसके तहत राज्य के 9 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने और उसके संचालन में 17 व्यवसायिक समूहों ने पहल की है। यह मेडिकल कॉलेज केंद्र की मदद से खोले जाने हैं। राज्य के 16 जिले ऐसे हैं जहां पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं। इनमें बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती, चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी, संत कबीर नगर जिले शामिल हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग को बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए निजी क्षेत्र से कुल 17 प्रस्ताव मिले हैं। इसमें तीनों श्रेणियों में आवेदन किए गए हैं। हाथरस और संभल में सर्वाधिक तीन-तीन प्रस्ताव मिले हैं। जबकि बागपत, रामपुर, शामली और कासगंज में दो-दो प्रस्ताव आए हैं। बाकी जिलों में एकल प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जबकि चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी, संत कबीर नगर जिलों में विभाग को अभी प्रस्तावों का इंतजार है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पहली श्रेणी में जमीन और पूरा निवेश निजी क्षेत्र का होगा। दूसरी श्रेणी में मेडिकल कॉलेज की जमीन और बिल्डिंग निवेशक की होगी जबकि अस्पताल सरकारी होगा और तीसरी श्रेणी में मेडिकल कॉलेज भवन और अस्पताल दोनों ही सरकारी होंगे, मगर संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाएगा। इन मामलों में राज्य सरकार वित्तीय व गैर वित्तीय सहायता देगी। पांच साल के लिए लागत पर पांच फीसदी की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम एक करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी।
अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में जल्दी ही उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हब बनाने के क्रम में नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। इस पार्क के निर्माण को लेकर नोएडा में कार्रवाई की जा रही है, इसके अलावा दवाओं के निर्माण के लिए भी सरकार ने बीते माह कई फैसले लिए हैं। जिसके चलते राज्य में वर्ष 2018 में बनाई गई फार्मास्यूटिकल नीति में संशोधन कर नई फार्मास्यूटिकल नीति लाने का फैसला किया है।
इस नई नीति में किए जाने वाले संशोधनों से सरकार कच्चे माल के रूप में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) निर्माण करने वाली कंपनियां यूपी में आने की पहल की है।
|