फिलहाल कम अवधि की एफडी कराना ही बेहतर | बिंदिशा सारंग / December 26, 2021 | | | | |
देश के बहुत से हिस्सों में तापमान गिर रहा है, लेकिन ब्याज दर के मोर्चे पर गर्माहट आने लगी है। एचडीएफसी बैंक ने 1 दिसंबर को चुनिंदा अवधियों की सावधि जमाओं (एफडी) पर ब्याज दरें 10 आधार अंक या 0.1 फीसदी तक बढ़ा दीं। बजाज फाइनैंस ने भी 5 करोड़ रुपये तक की चुनिंदा अवधियों की जमाओं पर दरें 30 आधार अंक (0.3 फीसदी) बढ़ा दी हैं। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी अपनी बेंचमार्क ऋण दर- आधार दर में 10 आधार अंक (0.1 फीसदी) का इजाफा किया है। साथ ही इसने 2 करोड़ रुपये से अधिक की जमाओं पर ब्याज दर 10 आधार अंक (0.1 फीसदी) बढ़ाई है।
ऊंची महंगाई से बढ़ रही दरें
वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोधों और वैश्विक आर्थिक वृद्धि और मांग में तेज सुधार से दुनिया भर में महंगाई दर बढ़ी है। पैसाबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा ने कहा, 'प्रमुख केंद्रीय बैंकों के महंगाई को काबू करने के लिए तरलता उपायों को वापस लेने और अपनी नीतिगत दरें बढ़ाने के आसार हैं। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऊंची नीतिगत दरों के अनुमानों से भारत में भी बाजार ब्याज दरें बढ़ी हैं। इसके चलते भारत के बड़े बैंकों ने भी अपनी एफडी दरें बढ़ाना शुरू कर दिया है।' वे ऐसा ऋण मांग में बढ़ोतरी होने से पहले और जमाकर्ताओं का धन लंबी अवधि की एफडी में लॉक करने के लिए कर रही हैं।
क्या यह रुझान जारी रहेगा?
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह रुझान कुछ समय जारी रहेगा। एमबी वेल्थ फाइनैंशियल सॉल्यूसंस के संस्थापक एम बर्वे के मुतबिक 'कुछ बैंकों और जमा स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपिनयों (एनबीएफसी) के एफडी दरें बढ़ाने के बाद अन्य भी ऐसा कर सकती हैं। यह रुझान आगे भी जारी रहने के आसार हैं क्योंकि महंगाई अस्थायी रहने की संभावना नजर नहीं आ रही है। जब तक केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू नहीं कर पाते हैं या कोविड के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार से वैश्विक सुधार को खतरा नहीं पैदा होता है, तब तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहेगी।'
अभी के लिए सुरक्षित रखें पूंजी
बैंक एफडी और उच्च प्रतिफल बचत खातों में खुदरा ग्राहकों के लिए सबसे कम जोखिम है। उन्हें आयकर और महंगाई के समायोजन के बाद जो मिलता है, वह एफडी का वास्तविक प्रतिफल है। इस समय बड़े बैंक एक साल की एफडी पर 4 से 6 फीसदी प्रतिफल दे रहे हैं। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, 'जो व्यक्ति 30 फीसदी कर वर्ग में है, उसे 6 फीसदी ब्याज दर वाली एफडी पर कर के बाद प्रतिफल 4.2 फीसदी मिलता है। छह फीसदी महंगाई पर आपका वास्तविक प्रतिफल -1.8 फीसदी होगा। धनात्मक कर बाद वास्तविक प्रतिफल के लिए एफडी से कम से कम 9 फीसदी प्रतिफल मिलना चाहिए।' वह कहते हैं कि इस समय केवल इक्विटी म्युचुअल फंड महंगाई रोधी प्रतिफल दे रहे हैं। क्या इस समय निवेशकों को एफडी से बचना चाहिए? इस पर कुकरेजा कहते हैं, 'लघु अवधि की एफडी कराएं यानी एक से दो साल की एफडी को प्राथमिकता दें। प्रमुख केंद्रीय बैंकों के अगले साल अपनी नीतिगत दरें बढ़ाने के आसार हैं। लघु अवधि की एफडी खोलने का फायदा यह है कि अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरीका दौर लंबी अवधि तक जारी रहा तो आप बाद में ऊंची दरों पर फिर से निवेश कर पाएंगे।' आनंद राठी प्रीफर्ड के प्रमुख (उत्पाद) झरना अग्रवाल ने कहा, 'सबसे बेहतर तीन साल की अवधि है।' हालांकि आपको सभी बैंकों एवं एनबीएफसी में सबसे बेहतर दरें तलाशनी चाहिए, लेकिन निवेश से पहले बैंक की व्यवहार्यता और बॉन्ड/जमा क्रेडिट रेटिंग पर भी ध्यान दें।
बैंक एफडी से आगे भी अपनी खोज बढ़ाएं। अग्रवाल के मुताबिक, 'कॉरपोरेट एफडी तुलनात्मक रूप से ज्यादा आकर्षक बन गई हैं। बढ़ती दरों के माहौल में फ्लोटिंग रेट बॉन्ड भी पोर्टफोलियो का प्रतिफल बढ़ा सकते हैं।' जिन लोगों के लिए लंबी अवधि के लिए पैसे को लॉक करना मुमकिन है, वे डाकघर की लघु बचत योजनाओं पर भी विचार कर सकते हैं। ऊंचे कर वर्ग में आने वाले निवेशक डेट फंडों को तरजीह दे सकते हैं। उन्हें अल्ट्रा शॉर्ट ड््यूरेशन, लो ड््यूरेशन या शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों जैसे लघु अवधि के डेट फंडों से जुड़े रहना चाहिए। कुकरेजा ने कहा, 'उनका कम परिपक्वता अवधि वाली निश्चित आय योजनाओं में निवेश होता है, इसलिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के दौर में उनके प्रतिफल पर असर लंबी अवधि के डेट फंडों की तुलना में कम पड़ता है।' वर्बे के मुताबिक म्योरिटी फंडों को अपनाना भी एक अच्छा विकल्प है, जिनमें आपको लगभग निश्चित प्रतिफल और इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। जो लोग पांच साल से अधिक के लिए निवेश कर सकते हैं, उन्हें इक्विटी फंड चुनने चाहिए।
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