रिटायरमेंट के लिए जरूरी रकम का अंदाजा लगा लेना जरूरी | संजय कुमार सिंह / December 26, 2021 | | | | |
हाल ही में जारी 2021 मर्सर सीएफए ग्लोबल पेंशन इंडेक्स सर्वे में भारत की पेंशन व्यवस्था को कुल 43 व्यवस्थाओं में 40वां स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं भारतीय पेंशन व्यवस्था एडीक्वेसी सब-इंडेक्स (जो बताता है कि मिलने वाले लाभ पर्याप्त हैं या नहीं) पर सबसे नीचे है। औपचारिक पेंशन व्यवस्था की अपनी खामियां होती हैं मगर भारत के मामले में बड़ी दिक्कत यह है कि 90 फीसदी से अधिक श्रमबल असंगठित क्षेत्र में है, जहां कर्मचारियों को औपचारिक सेवानिवृत्ति बचत प्रणाली में लाया ही नहीं जाता। ऐसे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के लिए खुद ही तैयारी करनी होगी।
कितनी बचत जरूरी?
जब आप काम करना शुरू करते हैं तो रिटायरमेंट 35 साल या उससे भी ज्यादा दूर हो सकता है। उस समय आप रिटायरमेंट के बाद की अपनी जरूरतों का कोई भी अनुमान लगाएंगे तो वह सैद्घांतिक ही होगा क्योंकि आपके रिटायर होने तक काफी कुछ बदल चुका होगा। प्रमाणित वित्तीय योजनाकार और अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक अरविंद ए राव कहते हैं, 'शुरू में अपनी आय का 30 फीसदी हिस्सा बचाना और उस बचत का एक तिहाई रिटायरमेंट के लिए बचाना ठीक रहेगा।'
राव यह भी कहते हैं कि 40 साल की उम्र होने तक आपकी जीवन शैली तय हो जाती है। उस वक्त हिसाब लगाइए कि अपने जीवन स्तर पर साल में आपको कितना खर्च करना पड़ता है, उसमें महंगाई को जोडि़ए और आपको मोटा अंदाजा लग जाएगा कि रिटायरमेंट के बाद आपको कितनी जरूरत पड़ेगी। महंगाई जोड़ते समय उपभोक्ता महंगाई के साथ ही जीवन शैली से जुड़ी महंगाई भी जोड़ें।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन समझाते हैं, 'आपके रिटायरमेंट के समय आपका सालाना खर्च जो भी हो, आपके पास उसकी कम से कम 18 से 35 गुना रकम होनी चाहिए।'
रकम का अंदाजा लग जाए तो उलटा हिसाब लगाते हुए देखें कि आपको हर महीने कितनी रकम बचाना जरूरी है।
इस गणित में ऐसी बहुत चीजें आती हैं, जो बदलती रहती हैं जैसे महंगाई की दर, निवेश पर प्रतिफल की दर, बचत की क्षमता में बदलाव आदि। इनमें से कुछ भी बदल सकता है। राव का सुझाव है, 'एक तय हिसाब के साथ शुरुआत करें और बीच-बीच में उसकी समीक्षा करते रहें ताकि बदलते हालात का अंदाजा होता रहे।'
इक्विटी को दें अहमियत
रिटायरमेंट जैसे दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी की हिस्सेदारी ज्यादा होनी चाहिए। मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड्या कहते हैं, 'जिनके पास 25 साल या उससे ज्यादा वक्त बचा है, वे 80 फीसदी तक निवेश इक्विटी में कर सकते हैं।' जिनमें जोखिम की भूख कम है, वे अपने पोर्टफोलियो में 50 से 70 फीसदी जगह इक्विटी को दे सकते हैं। इक्विटी में देसी और अंतरराष्ट्रीय फंडों को जगह दें। इनमें पैसिव और ऐक्टिव दोनों तरह के फंड हो सकते हैं। डेट में निवेश की बात करें तो वेतनभोगी लोगों के पास कर्मचारी भविष्य निधि का सहारा होगा। राव कहते हैं, 'रिटायरमेंट के लिए बचत के लिहाज से लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) भी कारगर है। इसमें पैसा 15 साल के लिए फंस जाता है (कुछ शर्तों के साथ 7 साल बाद ही निकासी हो सकती है), जिससे निवेशक बड़ी रकम इक_ी कर सकते हैं।' आप डेट म्युचुअल फंडों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
वित्तीय योजनाकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की सलाह भी देते हैं। धवन कहते हैं, 'एनपीएस में ज्यादा खर्च नहीं आता और इसमें इक्विटी तथा डेट का मिश्रण होता है। कर बचाने की खातिर 50,000 रुपये के निवेश पर ही नहीं रुकें। आप इससे ज्यादा रकम भी लगा सकते हैं।'
ज्यादा देर न करें
कामकाजी जिंदगी के शुरुआती सालों में रिटायरमेंट बहुत दूर लग सकता है। घर और कार की मासिक किस्त चुकाना, बच्चों की शिक्षा के लिए बचाना ज्यादा जरूरी लगता है। इसलिए ज्यादातर लोग जब रिटायरमेंट की बचत शुरू करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। पांड्या समझाते हैं, 'कम उम्र से ही नियमित रूप से छोटी रकम भी निवेश की जाए तो अच्छी शुरुआत होगी।'
लोग अक्सर रिटायरमेंट के लिए जरूरी रकम का अंदाजा लगाने में भी चूक कर जाते हैं। धवन कहते हैं, 'यह मत सोचिए कि रिटायरमेंट के बाद आपके खर्च आज के खर्च से बहुत कम हो जाएंगे। रिटायरमेंट के लिए बड़े निवेश के साथ योजना बनानी चाहिए।'
रिटायरमेंट के लिए जमा हो रही रकम से दूसरे खर्च कभी पूरे नहीं करें वरना 60 साल के होने पर आपके पास जरूरत से बहुत कम रकम होगी। किराये के लिहाज से रियल एस्टेट में निवेश करना भी दिक्कत भरा हो सकता है क्योंकि किराये से सालाना 2-3 फीसदी प्रतिफल भी मुश्किल से निकलता है। भारत में कम वेतन पर काम करने वाले युवा आसानी से मिल जाते हैं, इसलिए हो सकता है कि 60 साल की उम्र होने से पहले ही आपका काम छूट जाए। इसीलिए रिटायरमेंट के लिए जल्द से जल्द बचाएं। यह भी ध्यान रखें कि चिकित्सा में प्रगति के साथ लोग पहले से लंबी जिंदगी जी रहे हैं। इसलिए इतना बचा लीजिए कि उम्र के एक पड़ाव पर आपकी बचत खत्म नहीं हो जाए।
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