देश में कोवैक्सीन टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने अब देश के औषधि नियामक से अपने इंट्रा-नेजल (नाक के टीके) टीका बीबीवी154 के तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने की मंजूरी मांगी है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी, बूस्टर खुराक के तौर पर नाक के टीके का इस्तेमाल उन लोगों पर करने की योजना बना रही है जिन्हें पहले ही कोविड-19 टीके की दो खुराक मिल चुकी है। हैदराबाद की टीका निर्माता कंपनी ने 650 वॉलंटियर पर दूसरे चरण का परीक्षण कराया है। दूसरे चरण के परीक्षण के लिए भर्ती सितंबर तक पूरी हो गई थी। पहले चरण में 175 प्रतिभागी शामिल थे। कंपनी के एक सूत्र ने बताया, 'हमने डीसीजीआई के पास तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए आवेदन दिया है। टीकाकरण अभियानों में बड़ी आसानी से बूस्टर खुराक के रूप में इसइंट्रा-नेजल टीके का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। इंट्रा नेजल टीकों में संक्रमण रोकने की अधिक क्षमता होती है।' तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के ब्योरे का अभी अंदाजा नहीं मिला है। कंपनी ने अपने इंट्रा-नेजल टीके के लिए दूसरे चरण में तीन स्तरीय क्लीनिकल परीक्षण किया था। टीके का परीक्षण तीन तरह के टीकों के मिश्रण के साथ किया गया जिसमें दो इंट्रा-नेजल टीके, पहला एक कोवैक्सीन टीका और इसके बाद नाक का टीका या फिर कोवैक्सीन टीके के बाद नाक का टीका दिया गया। दरअसल इसके पीछे सोच यह थी कि टीके के संयोजन से बेहतर और लंबे समय तक बनी रहने वाली प्रतिरोधक क्षमता बनाई जा सके। इसी वजह से मांसपेशी में दिए जाने वाले कोवैक्सीन टीके के साथ नाक वाले टीके के संयोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि दो टीकों में कार्रवाई के विभिन्न तंत्र होते हैं और इसमें थोड़ी अलग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया बनती है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रीन टेंपलटन कॉलेज में सीनियर रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि एक अलग तरह की ऐंटीबॉडी नाक के म्यूकोसा की रक्षा करती है, जिन्हें आईजीए ऐंटीबॉडी कहा जाता है। जमील ने कहा, 'जब मांसपेशी में टीके दिए जाते हैं तब पर्याप्त रूप से आईजीए ऐंटीबॉडी नहीं पैदा करती है।' नाक के टीके पर टिप्पणी करते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में सेंटर फॉरएडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व प्रमुख जैकब जॉन ने कहा कि नाक का टीका होना दो वजहों से एक बेहतर विचार है। पहली बात यह है कि यह संभावित रूप से स्टेराइल प्रतिरोधक क्षमता बना सकता है (नेजल म्यूकोसा स्टेराइल है। जब रोगजनक वायरस नाक के म्यूकोसा के संपर्क में आता है तब इसमें रोगजनक वायरस को बेअसर करने के लिए ऐंटीबॉडी होती है) और दूसरी बात यह है कि ये टीके लगाना आसान होता है ऐसे में इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब किसी को नाक के जरिये स्टेराइल प्रतिरोधक क्षमता मिलती है तब इससे संक्रमण रुक जाता है।12 महीने तक इस्तेमाल होगी कोवैक्सीन भारत बायोटेक ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा हाल ही में इस्तेमाल अवधि के विस्तार को मंजूरी दी है जिसके बाद कोविड-19 टीका कोवैक्सीन का इस्तेमाल निर्माण की तारीख से लेकर 12 महीने तक किया जा सकता है। कंपनी ने कहा, 'टीके के इस्तेमाल की अवधि में विस्तार की यह मंजूरी अतिरिक्त स्थिरता डेटा की उपलब्धता पर आधारित है जिसे सीडीएससीओ के पास जमा किया गया था। इस्तेमाल की अवधि में विस्तार की वजह से अस्पताल अब अपने उस स्टॉक का उपयोग कर सकेंगे जिसकी एक्सपायरी करीब थी और इससे टीके की बर्बादी रुकेगी।' इसके अलावा कोवैक्सीन की एक खोली हुई शीशी को 28 दिनों तक 2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है और एक दिन में या टीकाकरण सत्र के खत्म होने के बाद उसे तुरंत छोड़ देने की जरूरत नहीं होगी।
