अगर आपका वेतन महीना खत्म होने से पहले ही खर्च हो जाता है तो आप ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। अन्र्ड वेज एक्सेस (ईडब्ल्यूए) समाधान प्रदाता रिफाइन और अन्स्र्ट ऐंड यंग की एक हाल की रिपोर्ट 'अन्र्ड वेज एक्सेस इन इंडिया: द फाइनल फ्रंटियर ऑफ एम्प्लॉई वेलबीइंग' में कहा गया है कि करीब 81 फीसदी भारतीय कर्मचारियों को वेतन मिलने की अवधियों के बीच वित्तीय कमी का सामना करना पड़ा है और करीब 72 फीसदी ने अनियोजित खर्च पूरे करने के लिए वैकल्पिक वित्त विकल्पों का सहारा लिया है। ईडब्ल्यूए एक वित्तीय योजना है, जिसमें कर्मचारी अपने अर्जित वेतन का एक हिस्सा वेतन की तारीख से पहले किसी समय और शेष वेतन के दिन ले सकता है। इससे वेतन के दिन चुकाए जाने वाले ऋणों (औसत ब्याज दर रोजाना करीब एक फीसदी वसूली जाती है) या क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च से बचने में मदद मिलती है। ये दोनों ही कर्ज के महंगे विकल्प हैं। हर नियोक्ता ईडब्ल्यूए नहीं मुहैया कराता है और वेतन के दिन तक के ऋणों की लत खतरनाक है। ऐसे में लंबी अवधि का व्यवहार्य विकल्प बजट की आदत डालना है।बजट बनाएं इसमें आप हर महीने के अपने खर्च की योजना बनाते हैं और शेष राशि बचाते हैं। यह बजट का आदर्श तरीका नहीं है, लेकिन यह कुछ लोगों के लिए उपयुक्त हो सकता है। नागपुर के सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर (सीपीएफ) रणजीत दानी ने कहा, 'यह तरीका उन लोगों के लिए कारगर होता है, जिनका वेतन कम है। उन्हें सबसे पहले अपनी जरूरतें पूरी करनी होती हैं और फिर शेष राशि बचानी होती है।' ये वे लोग हैं, जिनके कमोबेश तय खर्च हैं और उनके पास गैर-जरूरी चीजों पर खर्च के लिए ज्यादा पैसा नहीं बचता है। उन्होंने कहा, 'उन्हें यह तरीका अपनाना चाहिए और खर्च में जितनी संभव हो, उतनी कटौती करनी चाहिए।' सबसे पहले बचाएं यह बजट बनाने का आसान तरीका है। महीने की शुरुआत में वह धनराशि अलग रखें, जो आप बचाना या निवेश करना चाहते हैं। उसके बाद शेष राशि से अपने खर्चों की योजना बनाएं। दानी कहते हैं, 'आय माइनस खर्च बराबर बचत के समीकरण के बजाय आपको आय माइनस बचत बराबर खर्च का समीकरण इस्तेमाल करना चाहिए।' इस तरीके से आपको अपनी खर्च आदतों पर बहुत आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं होगी। फिनसेफ के संस्थापक निदेशक मरिन अग्रवाल ने कहा, 'यह उन लोगों के लिए कारगर है, जो आंकड़ों के फेर में नहीं पडऩा चाहते हैं। सबसे पहले अपना निवेश करें और फिर आपके बिलों पर खर्च करें और फिर बची धनराशि का लुत्फ उठाएं।' अपनी मासिक आय का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा अलग रखें। इस आंकड़े को धीरे-धीरे बढ़ाएं।50/30/20 बजट यह बजट बनाने का ज्यादा व्यापक और लोकप्रिय तरीका है। 50-30-20 के बजट तरीके में 50 फीसदी जरूरतों, 30 फीसदी इच्छाओं और 20 फीसदी बचत के लिए आवंटित किया जाता है। कुछ प्लानर इस नियम का संशोधित रूप इस्तेमाल करते हैं। अग्रवाल कहते हैं, 'हम 30-30-40 का सुझाव देते हैं, जिसमें 40 फीसदी आपकी बचत होनी चाहिए। 20 फीसदी बचत बहुत कम है।'शू्न्य आधारित बजट यह ऐसा तरीका है, जिसमें आपकी आमदनी में से खर्च निकालने के बाद शून्य बचता है। आप महीने की शुरुआत में आवश्यक धनराशि सभी प्रमुख मदों- मकान किराया, किराना, यूटिलिटी बिल, परिवहन आदि के लिए आवंटित करते हैं। आप अप्रत्याशित खर्चों के लिए विविध श्रेणी और बचत के लिए अन्य श्रेणी रख सकते हैं। इन श्रेणियों में से प्रत्येक के लिए तब तक धनराशि आवंटित करें, जब तक कुछ न बचे। इसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए महीने के दौरान के खर्चों पर नजर रखें कि वे आपके बजट के दायरे में रहें। यह योजना बनाने का ज्यादा व्यापक तरीका है। हर महीने की शुरुआत में प्रत्येक श्रेेणी के लिए आवंटन स्वत: नहीं होना चाहिए। इसे लेकर सवाल किया जाना चाहिए और अगर फिजूजखर्ची हो तो इसे घटाया जाना चाहिए। यह एडवांस तरीका है और पहली बार बजट बनाने वालों के लिए नहीं है। अग्रवाल कहते हैं, 'खर्र्च पर नजर रखना अच्छा है, लेकिन इसे लंबी अवधि में अपनाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।' फाइनैशियल प्लानर्स का कहना है कि अगर आप पाते हैं कि आपके पास हर महीने के खत्म होने से पहले ही पैसे समाप्त हो जाते हैं तो आपको या तो अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए या अपना खर्च घटाना चाहिए। उधारी केवल अस्थायी समाधान हो सकता है। एमबी वेल्थ फाइनैंशियल सॉल्यूशंस के संस्थापक एम बर्वे कहते हैं, 'उधारी बैंडेड की तरह है और स्थायी समाधान नहीं है। किसी भी बजट तरीके से शुरुआत करना महत्त्वपूर्ण है, भले ही यह अति साधारण हो। आप बाद में बजट का बेहतर तरीका अपना सकते हैं।'
