कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में डिजिटल तकनीक अपनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है क्योंकि कंपनियां देखभाल और बीमारियों के बेहतर प्रबंधन की खातिर वैकल्पिक मॉडलों पर नजर डाल रही हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में ये बातें कही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटलीकरण पर ज्यादा ध्यान दिए जाने से संपर्कविहीन स्वास्थ्य सेवा में तेजी लाने और तीव्र गति से फैसले लेने में मदद मिली है। तकनीकी नवोन्मेष ने मरीजों व ग्राहकों को बीमारियों की बेहतर समझ में मदद की है। साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की मांग होने लगी है। महामारी के दौरान संक्रमण का जोखिम और सामाजिक दूरी जैसे कदम ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों व मरीजों के बीच फिजिकल इंटरेक्शन सीमित कर दिया। मरीजों व डॉक्टरों का संपर्क हालांकि ऑनलाइन होने लगा और दवा कंपनियों ने भी ग्राहकों के लिए डिजिटल उपकरण तेजी से अपनाया। साथ ही डिलिवरी के अलग-अलग तरीके विकसित हुए। अस्पतालों ने भी मरीजों के इलाज में सुधार, डॉक्टरों के लिए बेहतर तरीके की पहचान, दवा व उपकरण कंपनियों की बेहतर समझ के लिए इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का इस्तेमाल शुरू कर दिया। अस्पताल ने होम हेल्थकेयर सेगमेंट में प्रवेश किया या उन्होंंने विशिष्ट होम हेल्थकेयर सेवा प्रदाताओं से गठजोड़ किया। कई अस्पतालों ने बाकी बची अपनी क्षमता किराये पर दी ताकि ऑपरेशन के जरिये इलाज हो और ऑपरेशन थियेटर का बेहतर इस्तेमाल हो सके। ज्यादातर कॉरपोरेट अस्पतालों ने टेलीकंसल्टेशन सेवाएं शुरू कीं या फिर टेलीहेल्थ के क्षेत्र की डिजिटल हेल्थ कंपनियों के साथ गठजोड़ किया। पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर व लीडर (हेल्थकेयर) राणा मेहता ने कहा, वॉयस आधारित कृत्रिम बौद्धिकता स्वास्थ्य सेवा में अगला बड़ा बदलाव लाएगा। ऐसा तकनीकी विकास स्वास्थ्यसेवा के ढांचे की वैल्यू में इजाफा करेगा। अध्ययन में कहा गया है कि बिजनेस मॉडलों पर दोबारा काम करके उसे रिटेल हेल्थ के हिसाब से बनाया गया। कई अस्पतालों ने आउटपेशेंट व अस्पताल से छुट्टी दिए गए मरीजों को दवाओं की होम डिलिवरी शुरू कर दी, साथ ही मरीजों को अपने साथ जोड़े रखने की खातिर जांच के लिए होम सैंपल कलेक्शन भी शुरू कर दिया।
