बीएस बातचीत प्रमुख वैश्विक कंपनी अल्सटॉम मेक इन इंडिया के जरिये भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले महीने उसने तमिलनाडु में एशिया क्षेत्र के अपने सबसे बड़े कलपुर्जा विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। अल्सटॉम के प्रबंध निदेशक (भारत एवं दक्षिण एशिया) एलन स्पोर ने शाइन जैकब से बातचीत में भारत में कंपनी की विनिर्माण योजना, बॉम्बार्डियर के अधिग्रहण के बाद की स्थिति आदि विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश: हाल में आपने कोयंबत्तूर में एक नया कलपुर्जा विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया है। अल्सटॉम के परिवेश में इस संयंत्र का क्या महत्त्व है? कोयंबत्तूर में हमारे नए कलपुर्जा विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटान नवंबर में किया गया था। यह एशिया में हमारी सबसे बड़ी कलपुर्जा विनिर्माण इकाई है। यह संयंत्र विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए कलपुर्जा विनिर्माण में औद्योगिक दक्षता में सुधार लाने के लिए समर्पित है। हमने 20 महीनों के दौरान इस संयंत्र की स्थापना पर करीब 2.5 करोड़ यूरो का निवेश किया है। अतिरिक्त विस्तार भी संभव है। इस संयंत्र के उद्घाटन के साथ ही हम दुनिया भर में अल्सटॉम की परियोजनाओं के लिए एक अग्रणी कलपुर्जा आपूर्तिकर्ता बनेंगे। फिलहाल इस संयंत्र से न केवल अल्सटॉम की भारतीय परियोजनाओं के लिए बल्कि पांच महाद्वीपों- एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका- में प्रमुख परियोजनाओं को आपूर्ति की जा रही है। प्रमुख देशों में फ्रांस, कनाडा, इटली, बेल्जियम, जर्मनी, नीदरलैंड्स, सऊदी अरब, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।कोविड के दौरान रेलवे के सिग्नल और विद्युतीकरण में काफी काम दिखा। इसमें कंपनी की भागीदारी कितनी थी और आगे का परिदृश्य कैसा दिख रहा है? साल 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला पहला रेल नेटवर्क बनने के अपने लक्ष्य के साथ भारतीय रेल ने अपने परिचालन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें अपने नेटवर्क के विद्युतीकरण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की खरीद और ऊर्जा की खपत में कमी जैसे उपाय शामिल हैं। पिछले दो साल के दौरान भारतीय रेल ने दिसंबर 2023 तक अपने पूरे नेटवर्क के विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सराहनीय काम किया है। खबरों के अनुसार, भारतीय रेल ने मार्च 2021 तक अपने मार्गों के विद्युतीकरण का अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा पेश किया है जो एक साल पहले के मुकाबले 37 फीसदी अधिक है।आपके मेट्रो कारोबार पोर्टफोलियो में वृद्धि कैसी रहेगी? अल्सटॉम के भारतीय परिचालन से काफी ऑर्डर लंबित है जो मार्च 2021 के अंत तक करीब 4.1 अरब यूरो था। इसमें कुछ सबसे प्रतिष्ठित मेनलाइन और शहरी मोबिलिटी वाली परियोजनाएं हैं जो देश भर में निर्माणाधीन हैं। बॉम्बार्डियर के अधिग्रहण के साथ ही भारत की लगभग हरेक मेट्रो परियोजना में अल्सटॉम की भागीदारी हो गई है। हमारी सभी परियोजनाएं लंबी अवधि यानी 5 से 10 साल की हैं। फिलहाल हम अपनी कुछ सबसे अधिक प्रतिष्ठित निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए अत्याधुनिक रोलिंग स्टॉक समाधान तैयार कर रहे हैं। इन परियोजनाओं में आरआरटीएस, कानपुर-आगरा मेट्रो और मुंबई मेट्रो लाइन 3 शामिल हैं। अल्सटॉम इंडिया अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों को भी पूरा करती है। वह ऑस्ट्रेलिया और मोंटरियल सहित दुनिया के कई देशों को इंजीनियरिंग, कलपुर्जा और पूरी तरह तैयार ट्रेन की आपूर्ति करती है।बॉम्बार्डियर अधिग्रहण के बाद भारत में एकीकरण कैसे किया गया? इससे कंपनी को क्या मदद मिली? बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन के अधिग्रहण के साथ ही अल्सटॉम अब अपनी पेशकश के व्यापक पोर्टफोलियो का दायरा बढ़ाने में समर्थ होगी ताकि सस्ते आम प्लेफॉर्मों से लेकर हाई-एंड तकनीकी नवाचार तक के लिए ग्राहक की खास जरूरतों को पूरा किया जा सके। अधिग्रहण के बाद हमने भारत में 8,500 से अधिक लोगों को नियुक्त किया है और छह औद्योगिक परियोजनाओं के साथ देश भर में हमारी उल्लेखनीय मौजूदगी है।मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इकाई के संदर्भ में भारतीय रेल को 800 इलेक्ट्रिक डबल-सेक्शन इंजन की आपूर्ति की क्या स्थिति है? अब तक 150 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की आपूर्ति की जा चुकी है और फिलहाल वे भारतीय रेल नेटवर्क के तहत वाणिज्यिक परिचालन में हैं। वे कुल मिलाकर 10 लाख से अधिक किलोमीटर चल चुके हैं। ये लोको प्रति किलोमीटर 13.4 ग्राम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं जो एक अच्छ ट्रक के मुकाबले करीब 7 गुना कम है। हम इस वित्त वर्ष के दौरान कुल 100 लोकोमोटिव की आपूर्ति करेंगे और आगे चलकर उसकी रफ्तार बढ़ेगी।
