एनएसई एफएमसीजी सूचकांक में सितंबर के बाद 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जबकि बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी50 में इस दौरान महज 4 फीसदी की गिरावट आई है। सोमवार को भी एफएमसीजी सूचकांक का प्रदर्शन कमजोर रहा और उसमें 1.8 फीसदी की गिरावट आई जबकि निफ्टी50 में 1.65 फीसदी की गिरावट रही। यह कोई सामान्य बात नहीं है क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर भारत की शीर्ष एफएमसीजी कंपनियों ने बाजार में उतार-चढ़ाव के खिलाफ एक दमदार बचाव के तौर पर काम किया है। जनवरी से मार्च 2020 के दौरान एनएसई एफएमसीजी सूचकांक में महज 9.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी जबकि उस दौरान निफ्टी50 में करीब 30 फीसदी की गिरावट रही थी। वास्तव में नेस्ले इंडिया और हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) जैसी इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के शेयर में बढ़त दर्ज की गई थी। उदाहरण के लिए, एचयूएल का शेयर 20 फीसदी चढ़ गया था जबकि नेस्ले इंडिया के शेयर में 10 फीसदी बढ़त दर्ज की गई थी। इसी प्रकार, एफएमसीजी सूचकांक ने व्यापक बाजार में 2011, 2015 और 2018 जैसी पिछली गिरावटों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया था। मौजूदा गिरावट ने इन कंपनियों के आसमान छूते मूल्यांकन को ठंडा कर दिया है। एनएसई एफएमसीजी सूचकांक फिलहाल 46.5 गुना के 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर से नीचे 39 गुना प्राइस-टु-अर्निंग मल्टिपल पर कारोबार कर रहा है। वास्तव में यह कई निवेशकों को आकर्षित कर सकता है लेकिन विश्लेषकों ने इस क्षेत्र में निकट भविष्य के निवेश को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। नारनोलिया सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों के दौरान एफएमसीजी क्षेत्र के मूल्यांकन में निश्चित तौर पर गिरावट आई है लेकिन व्यापक बाजार और 2-3 साल पहले इस क्षेत्र के अपने मूल्यांकन के मुकाबले वह अब भी काफी अधिक है। उचित खरीदारी के लिए उसमें कहीं अधिक गिरावट की दरकार है।' कुमार ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति के कारण मार्जिन पर दबाव के कारण निकट भविष्य में मूल्यांकन में गिरावट दिख सकती है। उन्होंने कहा, 'अधिकतर कंपनियों से अगली कुछ तिमाहियों के दौरान वॉल्यूम और राजस्व वृद्धि की उम्मीद की जा रही है लेकिन मार्जिन में गिरावट के कारण आय में वृद्धि नहीं हो सकती है। यह शेयर मूल्य में तेजी का कोई बड़ा नुस्खा नहीं है।' कुछ लोग निवेशकों को कम से कम दो सप्ताह तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं एमडी जी चोकालिंगम ने कहा, 'एफएमसीजी शेयर सहित व्यापक बाजार कम से कम दो सप्ताह तक दबाव में रह सकता है जब तक ओमिक्रोन वेरिएंट की गंभीरता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती है। यदि यह वायरस उम्मीद से कहीं अधिक घातक साबित होता है तो एफएमसीजी शेयर निवेश के लिए एक सुरक्षित दांव हो सकता है लेकिन उसका प्रभाव हल्का रहा तो निवेशकों को चक्रीय क्षेत्रों की ओर रुख करना चाहिए।' हालांकि व्यक्तिगत शेयरों को लेकर कुछ ब्रोकरेज का नजरिया सकारात्मक अब भी बराकरार है। एडलवाइस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने लिखा, 'एचयूएल की बाजार में आगे बढऩे की क्षमता और मूल्य निर्धारण संबंधी ताकत को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक बरकरार है। हमें यह भी उम्मीद करते हैं कि मूल्य वृद्धि और कुछ कच्चे माल में नरमी के दम पर कंपनी के मार्जिन में क्रमिक आधार पर सुधार होगा।' ब्रोकरेज का मानना है कि अगले 12 महीनों के दौरान इस शेयर में करीब 28 फीसदी की तेजी दिखेगी जबकि पिछले 12 महीनों के दौरान इसमें 4 फीसदी की गिरावट आई है। एचयूएल अपनी श्रेणी की अग्रणी कंपनी है और वह एनएसई एफएमसीजी सूचकांक के 15 कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण का करीब एक तिहाई है।
