कच्चे माल की अधिक लागत और इस्पात के नरम दामों के कारण दिसंबर तिमाही से घरेलू इस्पात उद्योग की आय प्रभावित होने की आशंका है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने कहा कि कच्चे माल की इस लागत में हाजिर बाजार में कोकिंग कोयले के आसमान छूते दामों से कंपनियों की कमाई को नुकसान हो रहा है। फिर भी अगले 12 महीने में उद्योग की पूर्ण लाभप्रदता की पैमाइश मजूबत स्तर पर बनी रहेगी, जिससे रेटिंग एजेंसी को इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद मिल रही है। वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही - पिछली तिमाही के दौरान लागत के दबाव की वजह से इस्पात में क्रमिक नरमी के बावजूद घरेलू इस्पात उद्योग किसी तिमाही के दौरान एकऔर सर्वाधिक लाभ दर्ज करने में सक्षम रहा। इसे दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों में सुधार के बाद मुख्य रूप से अधिक डिलिवरी से मदद मिली थी। घरेलू मिलों के मामले में कच्चे माल की लागत का दबाव वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही के उत्तरार्ध में कुछ हद तक कम हो सकता है, क्योंकि नवंबर 2021 के मध्य के बाद से समुद्री कोकिंग कोयले की कीमतों में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इक्रा ने कहा कि दो से तीन महीने के अंतराल के बाद इसका लाभ धीरे-धीरे मिलों के मार्जिन में दिखाई देगा। इक्र में कॉरपोरेट क्षेत्र की रेटिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख जयंत रॉय ने कहा 'हमारी गणना बताती है कि तीसरी तिमाही में कोकिंग कोयले की उपभोग लागत में क्रमिक रूप से करीब 65 से 70 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।' विश्व इस्पात संघ के नवीनतम लघु अवधि वाले परिदृश्य में कैलेंडर वर्ष 21 और 22 के दौरान चीन के बाहर भारत, जापान, दक्षिण-कोरिया, अमेरिका, यूरोप और सीआईएस देशों में इस्पात की मांग में जारदार सुधार का अनुमान लगाया गया है। इन देशों को टीकाकरण की अधिक दर और वित्तीय प्रोत्साहन के उपायों से लाभ प्राप्त हुआ है। भारत में मॉनसून के बाद की मांग में सुधार सकारात्मक संकेत दिखा रहा है, क्योंकि अक्टूबर 2021 में मासिक तैयार इस्पात की खपत सात महीने के शीर्ष स्तर 88 लाख टन तक पहुंच गई है।
