शिक्षा विशेषज्ञ और प्रथम एजुुकेशन फाउंडेशन की मुख्य कार्याधिकारी डॉ. रुक्मिणी बनर्जी को विश्व के सर्वोच्च शैक्षणिक पुरस्कार इडन प्राइज फॉर एजुुकेशनल डेवलपमेंट, 2021 से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार बच्चों के सीखने के क्षेत्र में सुधार के लिए दिया गया है। बनर्जी ने प्रथम की टीम के साथ जो अहम काम किए हैं उनमें एनुअल स्टेटस ऑफ एजुुकेशन रिपोर्ट (असर) आकलन भी शामिल है। यह रिपोर्ट बताती है कि स्कूल में कुछ वर्ष बिता चुके बच्चे साक्षरता और गणना के मामले में किस स्थिति में हैं और उनके बीच कितना अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए बनर्जी की टीम स्कूलों तथा स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर टीचिंग एट द राइट लेवल (टीएआरएल) कार्यक्रम पर काम कर रही है ताकि बच्चों को पढऩे तथा अंकगणित का बुनियादी कौशल सिखाया जाए। कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि कोई बच्चा पीछे न छूट जाए। अब यह मॉडल हर साल देश के लाखों बच्चों तक पहुंचता है और इसका विश्व स्तर पर प्रसार हो रहा है। इडन प्राइज समिट में परिचर्चा के दौरान अपने काम के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. बनर्जी ने वे आंकड़े दोहराए जिनसे पता चलता है कि कैसे लगभग सभी बच्चों ने एक ही स्तर पर पढऩा और अंकगणित सीखना शुरू किया लेकिन कक्षा तीन तक पहुंचते-पहुंचते 70 प्रतिशत बच्चे पीछे छूट गए। बनर्जी ने कहा, 'बच्चे अलग-अलग उम्र में और अलग-अलग हालात से गुजरकर स्कूल पहुंचते हैं लेकिन स्कूल की पढ़ाइ्र्र तेजी से तथा एकरेखीय ढंग से आगे बढ़ती है। हमारी स्कूली प्रणाली उन बच्चों को साथ लेने के हिसाब से नहीं बनी है जो पीछे छूट जाते हैं। बच्चों के मातापिता भी इससे अनभिज्ञ रहते हैं। घरों में या स्कूलों में इस बात का जल्दी पता नहीं चल पाता। नतीजा यह कि कई बच्चे पाठ्यक्रम से तालमेल नहीं बिठा पाते और पीछे छूट जाते हैं। प्रथम में हम सुनिश्चित करते हैं कि बच्चों को सही स्तर की शिक्षा मिले। दीर्घावधि में हमें विचार करना होगा कि हमें इतनी तेज गति वाले पाठ्यक्रम की क्या आवश्यकता है। ऐसी पढ़ाई क्यों नहीं हो सकती जहां सभी बच्चों को एक साथ आगे ले जाया जा सके।' 2019 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी ने रुक्मिणी बनर्जी के 2021 के इडन पुरस्कार तथा प्रथम में उनके काम का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक 'विद्वान और कार्यकर्ता' दोनों हैं। एक अन्य पैनलिस्ट तथा 2019 की ही नोबेल पुरस्कार विजेता एस्टर डफलो ने रुक्मिणी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रथम केवल एक स्वयंसेवी संगठन नहीं बल्कि एक आंदोलन की तरह है।
