चेन्नई की एक कम चर्चित फर्म रामचरण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का मूल्यांकन बुधवार को एक सौदे के बाद 9 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। अमेरिकी फंड टीएफसीसी ने 4.14 अरब डॉलर के एक सौदे के तहत रामचरण में 46 फीसदी हिस्सेदारी लेने की घोषणा की है। हालांकि एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन के जरिये इस लेनदेन के बारे में जानकारी दी गई लेकिन यह नहीं बताया गया कि मूल्यांकन इतना अधिक कैसे हो गया। निवेश की भारतीय इकाई और रामचरण के पते समान हैं। एक अज्ञात वेस्ट-टु-टेक्नोलॉजी फर्म में इतना अधिक निवेश करने के कारणों का भी खुलासा नहीं किया गया है। रामचरण के मालिक कौशिक पलीचा ने इस सौदे की घोषणा के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कंपनी तमिलनाडु और गुजरात की अपनी दो विनिर्माण इकाइयों में करीब 1.25 अरब डॉलर का उपयोग करना चाहती है। इसके अलावा कंपनी कई शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचा स्थापित करने की पहल को भी रफ्तार दे रही है। साथ ही वह अपने रसायन खरीद-फरोख्त कारोबार के लिए एक अलग इकाई स्थापित करना चाहती है।रामचरण के कारोबार समूह ने 1960 में केरल के अलप्पुझा में कालीमिर्च के खरीद-फरोख्त कारोबार से अपने सफर की शुरुआत की थी। बाद में चेन्नई स्थानांतरित होने पर उसने रसायन वितरण कारोबार पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया। कौशिक और उनके भाई दिव्येश ने 1996-97 में कारोबार की कमान संभाली थी जो कंपनी के लिए एक नया पड़ाव था। वहीं से कंपनी ने रबर और प्लास्टिक के उत्पाद कारोबार में दस्तक दी थी। साल 2009-10 में करीब 60 करोड़ के राजस्व से कंपनी 2020-21 में 300 करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुंच गई। टीएफसीसी इंटरनैशनल के चेयरमैन क्रिस कर्टिस के अनुसार, रामचरण पीढ़ीगत गतिविधियों के लिहाज से दुनिया की शीर्ष 100 कंपनियों में शामिल है। उसके पास 700 से अधिक उत्पाद और 24 गोदाम हैं। कंपनी के मौजूदा ग्राहकों में टायर, पेंट एवं प्लास्टिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। पलीचा ने कहा, 'रसायन कारोबार को एक सहायक इकाई के तहत लाया जाएगा और उसका संचालन एक अलग कारोबार के तौर पर किया जाएगा। रामचरण विनिर्माण कारोबार पर ध्यान केंद्रित करेगी।'अधिक मूल्यांकन क्यों कर्टिस के अनुसार, उच्च मूल्यांकन का कारण एक अनोखी तकनीक है जिसका उपयोग रामचरण अपशिष्टï प्रबंधन में करती है। पलीचा ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर अपशिष्टï प्रबंधन उद्योग का आकार करीब 400 अरब डॉलर होने का अनुमान है जहां हमारे विकास के लिए काफी गुंजाइश है। यही कारण है कि मूल्यांकन इतना अधिक है।' पलीचा ने कहा कि उपयोग की जा रही तकनीक के लिहाज से रामचरण भारत की नंबर वन कंपनी है। उन्होंने कहा, 'इसमें सबकुछ ऊर्जा में तब्दील हो जाता है और इसलिए कोई अवशेष नहीं बचेगा। यही हमारी खासियत है। हम कुछ भी अवशेष नहीं छोड़ते हैं न हवा, न जल और न ही ठोस कचरा। यह दुनिया की एक सबसे स्वच्छ तकनीक है।' रामचरण और टीएफसीसी इंडिया के कार्यालय के एक ही पते के बारे में पलीचा ने कहा कि इस साल के आरंभ में जब टीएफसीसी ने भारत में अपना पंजीकरण कराने का निर्णय लिया था तो उनकी कंपनी अपना चेन्नई का पता दिया था।भविष्य की रूप रेखा पलीचा ने कहा कि पूरी रकम का उपयोग कारोबार के विस्तार में किया जाएगा। इसका उपयोग विनिर्माण इकाइयों की स्थापना और अनुसंधान एवं विकास मद में किया जाएगा।
