रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को हटाकर प्रशासक नियुक्त करने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले ने आश्चर्यचकित नहीं किया है। कंपनी वर्षों से वित्तीय संकट का सामना कर रही थी, लिहाजा देनदारी चुकता करना उसके लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा था। कंपनी ने आखिरी बार वित्त वर्ष 2016-17 में मुनाफा दर्ज किया था, उसके बाद से लगातार नुकसान उठा रही है। कंपनी ने पिछले साढ़े चार वर्षों में करीब 19,000 करोड़ रुपये का संचयी शुद्ध नुकसान दर्ज किया है, जिससे उसकी हैसियत (नेटवर्थ) पूरी तरह से खत्म हो गई। इस साल सितंबर के आखिर में कंपनी का नकारात्मक नेटवर्थ 13,700 करोड़ रुपये रहा जबकि सकल कर्ज 27,100 करोड़ रुपये। रिलायंस कैपिटल की खराब वित्तीय स्थिति पिछले छह वर्षों में अनिल अंबानी समूह की गिरावट के लिए प्रतीकात्मक रही है। समूह की छह सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त नुकसान वित्त वर्ष 21 में करीब 17,000 करोड़ रुपये रहा जबकि इस साल सितंबर में समाप्त पिछले 12 महीने की अवधि में यह नुकसान करीब 14,400 करोड़ रुपये रहा। इसके साथ ही समूह का संचयी नुकसान पिछले साढ़े चार साल में 1.03 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। समूह ने समूह के स्तर पर आखिरी बार वित्त वर्ष 17 में लाभ दर्ज किया था। समूह की कंपनियों का संयुक्त कर्ज वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में 1.31 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि नकारात्मक नेटवर्थ 59,300 करोड़ रुपये, जो उसे भारत में सबसे ज्यादा कर्ज वाले समूह में से एक बनाता है। समूह की सभी कंपनियां नुकसान उठा रही हैं और रिलायंस कम्युनिकेशन व रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग सबसे ज्यादा वित्त्तीय दबाव वाली फर्में हैं। समूह का राजस्व इस अवधि में एक तिहाई घटा, जो वित्त वर्ष 2016 में 78,500 करोड़ रुपये था जबकि इस साल सितंबर में समाप्त पिछले 12 महीने की अवधि मेंं करीब 50,000 करोड़ रुपये रह गया। समूह की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले पांच साल में 85 फीसदी घटा है। मार्च 2017 के आखिर में एमकैप 58,500 करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 8,360 करोड़ रुपये रह गया है।
