देश के करीब 79 प्रतिशत भारतीय यात्री उन तरीकों से यात्रा करना चाहते हैं जो स्थानीय समुदायों को आर्थिक और सामाजिक, दोनों तरीके से सकारात्मक रूप से फायदा पहुंचा सके और करीब 69 प्रतिशत यात्री, टिकाऊ पर्यटन के अनुभव के लिए ज्यादा जेब खर्च के लिए भी तैयार हैं। एयरबीएनबी और थिंक टैंक 'इकॉनमिस्ट इम्पैक्ट' द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। इस सर्वेक्षण में भारत सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नौ देशों के 4,500 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इकॉनमिस्ट इम्पैक्ट में पॉलिसी ऐंड इनसाइट की वरिष्ठ प्रबंधक प्रतिमा सिंह ने कहा, 'महामारी के बाद पर्यटक अपनी यात्रा के विकल्पों और निर्णयों के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं।' हमारे सर्वेक्षण के नतीजों से यह अंदाजा मिलता है कि हम एक रुझान देख रहे हैं कि जहां लोग अपनी यात्रा के फैसले को आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण की दृष्टि से अधिक टिकाऊ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय समुदायों को इससे अधिक फायदा मिलने की उम्मीद है।' महामारी और लॉकडाउन के बाद यात्रा का एक और प्रभाव, ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक अवसर पर पड़ा है। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा में भी उभार देखा जा रहा है विशेष रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में क्योंकि यात्री, यात्रा और रहने के नए तरीके की खोज के लिए ज्यादा खुले हैं। आगे भी, सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि 56 फीसदी से अधिक लोग पहले की तुलना में अधिक घरेलू यात्रा की योजना बना रहे हैं और उनका मकसद, अपने ही देश के भीतर पर्यटन स्थलों के लिए अपनी यात्रा बजट का अधिक आवंटन करना है। सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी लोगों ने कहा कि वे छुट्टियों में अपना आराम और लक्जरी छोडऩे के लिए तैयार हैं, अगर उनके कामों को स्थायी पर्यटन से मदद मिल सकती है और 64 फीसदी लोग छुट्टियोंवाली ऐसी जगहों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं जहां लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शोध में यह पाया गया कि दो-तिहाई से अधिक भारतीयों का कहना है कि यह उनके लिए महत्त्वपूर्ण है कि वे स्थानीय लोगों के लिए एक सकारात्मक प्रभाव पैदा कर रहे हैं। करीब 58 फीसदी का कहना है कि वे पर्यटन में अधिक योगदान नहीं दे रहे हैं। भारत में 60 प्रतिशत से अधिक लोग इस बात को लेकर सचेत हैं कि स्थानीय समुदायों के आर्थिक सुधार की जरूरत है और वे कहां यात्रा करते हैं और वे अपना पैसा कैसे खर्च करते हैं, यह एक अहम कारक होगा। करीब 67 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि वे इस बात को लेकर और अधिक सचेत हो जाएंगे कि वे जिन समुदायों के पास जा रहे हैं उनके लिए क्या अहम है और वे उनके लिए कैसे कोई योगदान दे सकते हैं। करीब 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय यात्रियों का कहना है कि प्रौद्योगिकी संचालित समाधान, पर्यटन उद्योग को अधिक समावेशी बना सकता जिससेस्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से फायदा देने के लिए सक्षम बनाया जा सकता है। एयरबीएनबी इंडिया, दक्षिण पूर्व एशिया, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के महाप्रबंधक अमनप्रीत बजाज ने कहा, 'लोग तेजी से अधिक विचारवान होते जा रहे है और और वे जिन समुदायों के पास जा रहे हैं उनके लिए कोई सकारात्मक योगदान देने के तरीके के बारे में सोच रहे हैं। हम अब 'जागरूक यात्रा' के एक नए रूप का उदय देख रहे हैं जो नए तरीकों से भारत भर के समुदायों को फायदा पहुंचाएगा।' महामारी की वजह से लोग एकदूसरे से दूर हुए हैं और उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है ऐसे में हमारे पास एक मौका है कि हम देश में पर्यटन के लिए एक सकारात्मक रास्ता अपनाएं। एयरबीएनबी सबके फायदे के लिए यात्रा में आई तेजी का लाभ उठाने के लिए समुदायों और सरकारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय लोगों के लिए समान आय के मौके तैयार करने और नए सामाजिक अनुभवों और सार्थक संपर्क जैसे दो महत्त्वपूर्ण पहलूउभरे हैं।
