इस साल की शुरुआत में 81 अरब डॉलर की जोरदार स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद अमेरिका क्रिसमस पर भौगोलिक रूप से सीमित 5जी लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है, यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) विमानों की उड़ान पर 5जी व्यवधानों के संभावित घातक परिणामों के संबंध मे खतरे की घंटी बजाने लगा है। इसकी चिंताओं का अनुकंपन भारत में अनुभव किया जा सकता है, जहां अगले साल 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी है। नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक अधिकारी ने कहा कि नियामक एफएए के बुलेटिन से अवगत है, लेकिन भारत में अभी चेतावनी देने की कोई वजह नहीं है। एफएए ने 2 नवंबर, 2021 को एक विशेष उड़ान योग्यता सूचना बुलेटिन (एसएआईबी) जारी किया था, जिसमें यह संकेत दिया गया था कि 5जी की वायु तरंगों के व्यवधान की वजह से विमान में रडार अल्टीमीटर संभावित रूप से खराब हो सकते हैं। रडार अल्टीमीटर एक महत्त्वपूर्ण उपकरण होता है, जो जमीन से किसी विमान की ऊंचाई को मापता है। एफएए विमान के आम तौर पर 4.2 से 4.4 गीगाहट्र्ज बैंड पर काम करने वाले रडार अल्टीमीटर पर 5जी की 3.7 से 4 गीगाहट्र्ज बैंड की फ्रिक्वेंसी के घातक प्रभाव के संबंध में रेडियो टेक्निकल कमीशन फॉर एरोनॉटिक्स (आरटीसीए) के अध्ययन की ओर संकेत करता है। अमेरिका में 5जी 3.7 से 3.8 गीगाहट्र्ज बैंड में शुरू किया जाएगा। भारत में सरकार 3.2 से 3.6 गीगाहट्र्ज बैंड में 5जी शुरू करने की योजना बना रही है, जो खतरे के उस निशान के करीब है, जिसका वर्तमान में अमेरिका में परीक्षण किया जा रहा है। आरटीसीए की रिपोर्ट इस बात की खौफनाक चेतावनी देती है कि सर्वाधिक बुनियादी परिदृश्य में भी 5जी रेडियो फ्रिक्वेंसी विमान संचालन और विमानन सुरक्षा के लिए असाधारण रूप से गंभीर नतीजों का सबब बन सकती है। वाणिज्यिक विमानों की तुलना में कम ऊंचाई पर उडऩे ढुलाई के छोटे क्षेत्रीय विमानों, व्यावसायिक जेट विमानों और हेलीकॉप्टरों पर इसका असर कहीं ज्यादा हो सकता है। आरटीसीए ने कहा है कि 'यह जोखिम व्यापक है और इसमें अमेरिका में विमानन संचालन के लिए विस्तृत असर की गुंजाइश है, जिसमें विनाशकारी विफलताओं की संभावना भी शामिल है जिससे कई मौत भी हो सकती है।' कम दृश्यता वाली स्थिति में विमान के उतरने में, सर्दियों के धुंध वाले दिनों में और मॉनसून की भारी बारिश के दौरान यह खतरा और भी अधिक हो सकता है। जोखिम आरटीसीए ने उन चार प्रकार की संभावित विफलताओं की सूची बनाई है, जो 5जी व्यवधान के कारण हो सकती हैं। पहली : किसी विमान के उतरने या उड़ान भरने के दौरान 5जी व्यवधान दोनों रडार अल्टीमीटरों को बंद कर सकता है। यह ऑटो-लैंडिंग विकल्प को स्वचालित रूप से अलग-थलग कर देगा, जिससे पायलटों के पास जमीन से अपनी दूरी की जानकारी मिले बिना ही उतरने या हवा में चक्कर लगाने की योजना बनाने के लिए बहुत कम समय बचेगा। अगर पायलट बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी विमान को उतारने में असमर्थ रहते हैं, तो हवाई यातायात नियंत्रण को हवाई पट्टी पर परिचालन बंद करना पड़ सकता है। दूसरी : 5जी व्यवधान के कारण दो अल्टीमीटरों में से एक बंद हो सकता है, जबकि दूसरा अल्टीमीटर जमीन से विमान की दूरी की गलत जानकारी प्रदर्शित कर सकता है। इस मामले में अगर पायलट एकमात्र कार्यशील उपकरण पर भरोसा करते हैं और उन जानकारियों के आधार पर स्वयं विमान उतारने का फैसला करते हैं, तो यह 'हार्ड लैंडिंग' और सबसे बुरी स्थिति में जमीन पर कोईविनाशकारी असर की वजह बन सकता है। तीसरी : दोनों ही अल्टीमीटर ऐसी गलत रीडिंग दिखा सकते हैं, जो एक-दूसरे से भिन्न हो। इस मामले में ऑटोपायलट इस गलत रीडिंग का इस्तेमाल कर सकता है और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। ऑटोपायलट किसी विसंगति को भी महसूस कर सकता है जिससे पायलट को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। किसी आपदा से बचने के समय भी ऐसा हो सकता है और नहीं भी। वर्ष 2009 में एम्स्टर्डम हवाई अड्डे पर टर्किश एयरलाइंस की उड़ान के साथ भी इसी तरह की एक दुर्घटना होने की सूचना है। चौथी : 5जी व्यवधान के कारण दोनों ही उपकरण समान रीडिंग का गलत प्रदर्शन कर सकते हैं। इस मामले में न तो ऑटोपायलट और न ही पायलटों को पता होगा कि वे किसी विपत्ति में जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अवधारणा ऊंचाई की गलत रीडिंग के साथ आगे चलेगी, जिससे या तो जमीन पर सीधा विनाशकारी प्रभाव होगा या फिर विमान रुक जाएगा और बाद में जमीन पर विनाशकारी प्रभाव होगा। इस उदाहरण में पायलट गलत डेटा से अनजान होंगे और हस्तक्षेप करने में असमर्थ रहेंगे। भारत की स्थिति भारत के मामले में, जो बैंड बिक्री के लिए उपलब्ध होगा, वह 3.2 और 3.6 गीगाहट्र्ज के बीच है। कई लोगों का मानना है कि विमान संचालन को खतरे में डालने से रोकने के लिए यह पर्याप्त मार्जिन है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि आपके पास लगभग 300 मेगाहट्र्ज (3.6 गीगाहट्र्ज और अमेरिका में समीक्षाधीन खतरनाक 3.9 गीगाहट्र्ज के बीच का अंतर) का गार्ड बैंड है, जो कुछ अन्य देशों की तुलना में पर्याप्त है। वैसे भी 50 प्रतिशत स्पेक्ट्रम को जानबूझकर दूरसंचार परिचालकों की पहुंच से दूर रखा जा रहा है। भारत में 5जी की शुरुआत दुनिया में सबसे कमजोर शुरुआत में शुमार होगी। इससे कोई हवाई आपदा नहीं होनी चाहिए। तो क्या इसका मतलब यह होगा कि भारत के लोग दुनिया के सबसे धीमे 5जी नेटवर्क में से एक के लिए ज्यादा कीमत चुकाएंगे? उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा 'इस बैंड में बड़ी संख्या में उपयोगकर्ता और केवल आधा स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने की वजह से भारत का 5जी सबसे तेज नहीं होगा। इससे कोई फर्क नहीं पडऩा चाहिए। भारतीय बाधाओं का जीवन जीने के अभ्यस्त हैं और वे उन्हें जो कुछ भी बेचा जा रहा है, वे उसी में खुश दिखते हैं। दुनिया में कुछ ही ऐसे देश हैं, जो 3.7 गीगाहट्र्ज बैंड तक के 5जी स्पेक्ट्रम की पेशकश कर रहे हैं। इनमें अमेरिका, इटली, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, स्पेन और फिनलैंड शामिल हैं।
