बाजार पूंजीकरण के लिहाज से भारत की चौथी सबसे बड़ी उपभोक्ता कंपनी सितंबर तिमाही में शानदार प्रदर्शन वाली कंपनियों में शुमार थी। जहां कंपनी ने दूसरी तिमाही में बाजार अनुमानों को मात दी, वहीं दो साल के आधार पर भी, उसने राजस्व और परिचालन मुनाफा के मोर्चे पर प्रमुख उपभोक्ता दिग्गजों के संदर्भ में तेज वृद्घि दर्ज की। निर्माण गतिविधि मेंं सुधार, मांग वृद्घि और बाजार भागीदारी बढऩे से कंपनी का राजस्व सालाना आधार पर 40 प्रतिशत बढ़कर 2,626 करोड़ रुपये पर रहा। यह अनुमानों के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक था। हंट्समैन एडवांस्ड मैटेरियल्स (अरालडाइट ब्रांड) अधिग्रहण के समायोजन के बाद, वृद्घि 33 प्रतिशत पर रही। कंपनी ने कहा है कि मुख्य मांग सुधार को मजबूत मोबिलिटी और रियल एस्टेट तथा निर्माण गतिविधि में सुधार से मदद मिली। छोटे कस्बों (राजस्व में 30 प्रतिशत योगदान) में वितरण वृद्घि के अलावा पिडिलाइट को बढ़ती उत्पादन लागत के बीच भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक भारत पुरी ने दूसरी तिमाही की निवेशक रिपोर्ट में कहा कि कंपनी ने अपने कई प्रमुख सेगमेंटों के साथ साथ वृद्घि संबंधित श्रेणियों में कोविड अवधि के दौरान असंगठित, छोटी और क्षेत्रीय कंपनियों के मुकाबले भागीदारी में इजाफा दर्ज किया। विश्लेषकों का कहना है कि मुद्रास्फीतिकारी परिवेश में, छोटी कंपनियों की कार्यशील पूंजी स्थिति खराब हुई है जिससे उन्हें आपूर्ति शृंखला के अनुरूप कार्य करना और पिडिलाइट को मूल्य निर्धारण लाभ हासिल करना मुश्किल हुआ है। बिक्री वृद्घि घरेलू व्यवसाय के लिए 25 प्रतिशत पर थी और कीमत वृद्घि तथा मांग में संभावित तेजी के साथ राजस्व में सुधार बने रहने की संभावना है। भले ही वृद्घि का रुझान मजबूत है, लेकिन फेविकोल, डॉ. फिक्सिट और फेविकिक जैसे ब्रांडों की मालिक को बढ़ती कच्चे माल की लागत का सामना करना पड़ रहा है। सकल मार्जिन 1,000 आधार अंक से ज्यादा घटकर 45.4 प्रतिशत रह गया, क्योंकि कुच्च कच्चे माल विनाइल एसीटेट मोनोमर या वीएएम की कीमतें पिछले साल के दौरान 1.5 गुना चढ़ी हैं। हालांकि कम कर्मचारी लागत और अन्य खर्च (बिक्री के प्रतिशत के तौर पर) से परिचालन लाभ मार्जिन 630 आधार अंक घटकर करीब 21 प्रतिशत रह गया है। जो कुछ हद तक राहत है। दूसरी तिमाही में वीएएम की कीमत तब से अन्य 24 प्रतिशत तक बढ़ी है। कंपनी को लागत वृद्घि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष के अंत तक धीमी पडऩे और मार्जिन 20-24 प्रतिशत के दायरे में बने रहने का अनुमान है। कंपनी कीमत वृद्घि के जरिये 70 प्रतिशत लागत वृद्घि का बोझ कम करने की संभावना तलाश रही है, जिसके साथ साथ वह लागत बचत के जरिये भी मार्जिन को बरकरार रखना चाहती है। मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के कृष्णन संबामूर्ति के विश्लेषकों ने तीन कारकों पर जोर दिया है, जिनसे पिडिलाइट को भारी लागत वृद्घि का अन्य पेंट कंपनियों के मुकाबले बेहतर ढंग से प्रबंधन करने में मदद मिली है। यह खासकर एधेसिव सेगमेंट में एकाधिकार, मैटेरियल लागत में अंतर आदि की वजह से है। हालांकि अल्पावधि दबाव पैदा हो सकता है, लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को मुनाफे में संपूर्ण सुधार और मध्यावधि के संदर्भ में कुछ तेजी के जोखिम की आशंका है, क्योंकि कंपनी को कई श्रेणियों में अपने दबदबे की वजह से बेमिसाल मूल्य निर्धारण ताकत का लाभ मिल रहा है। बाजार का मानना है कि पिडिलाइट रियल एस्टेट में सुधार की मुख्य लाभार्थी होगी। इससे कंज्यूमर और बाजार सेगमेंट को मजबूती मिलने की संभावना है जिसका राजस्व में 81 प्रतिशत योगदान है। निजी/सरकारी पूंजीगत खर्च में धीरे धीरे आ रहे सुधार से बी2बी सेगमेंट (औद्योगिक एड्हेसिव, रेसिंस आदि) की वृद्घि को मदद मिलने की संभावना है। इन उम्मीदों का असर कंपनी के वित्त वर्ष 2023 के आय अनुमानों के 70 गुना मूल्यांकन के तौर पर दिखा है। निवेशक गिरावट पर इस शेयर पर विचार कर सकते हैं। यह शेयर पिछले एक साल में 66 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि बीएसई के एफएमसीजी सूचकांक में 25 प्रतिशत की तेजी आई है।
