रिटर्न भरने से पहले दूर करें फॉर्म 26एएस की खामियां | बिंदिशा सारंग / November 20, 2021 | | | | |
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की आखिरी तारीख इस साल की 31 दिसंबर है और उसे आने में अब बमुश्किल 50 दिन बचे हैं। इसलिए अगर आपने अभी तक रिटर्न नहीं भरा है तो आखिरी दिनों के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठने से बेहतर है कि अभी शुरुआत कर दें। रिटर्न दाखिले की प्रक्रिया शुरू करते समय सबसे पहले आपको फॉर्म 26एएस की अच्छी तरह जांच करनी चाहिए। सबसे पहले यह देखिए कि फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारी आपके वार्षिक सूचना विवरण और फॉर्म 16 में दी गई जानकारी के साथ मेल खाती है या नहीं।
दोनों की करें जांच
इस साल आयकर रिटर्न दाखिल करते समय केवल फॉर्म 26एएस या केवल वार्षिक विवरण को जांचने से काम नहीं चलेगा। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अर्चित गुप्ता समझाते हैं, 'करदाताओं को फॉर्म 26एएस और वार्षिक सूचना विवरण दोनों पर अच्छी तरह नजर दौड़ानी होगी। अब वार्षिक सूचना विवरण यानी एआईएस फॉर्म पूरी तरह काम करने लगेगा तब फॉर्म 26एएस को खत्म भी किया जा सकता है। तब तक करदाताओं को दोनों की जांच करनी होगी।'
दोनों में अंतर
फॉर्म 26एएस में स्रोत पर काटे गए कर (टीडीएस) का ब्योरा, स्रोत पर एकत्र किए गए कर (टीसीएस), अग्रिम कर भुगतान, स्व-मूल्यांकन कर भुगतान का ब्योरा, उस वित्त वर्ष में प्रापत रिफंड से जुड़ी जानकारी, जमा कर का नियमित मूल्यांकन और म्युचुअल फंड, शेयर आदि में उच्च मूल्य वाले लेनदेन की जानकारी शामिल होती है। दूसरी ओर एआईएस में पूरे साल के वित्तीय लेनदेन का ब्योरा होता है।
पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के संस्थापक और प्रबंध साझेदार संदीप बजाज कहते हैं, 'अगर फॉर्म 26एएस (ट्रेसेज पर उपलब्ध) में दी गई जानकारी और एआईएस (अनुपालन पोर्टल पर उपलब्ध) में मौजूद जानकारी अलग-अलग है तो फॉर्म 26एएस वाली जानकारी पर ही भरोसा करें।'
जानकारी अलग तो
फॉर्म 16, फॉर्म 16ए और फॉर्म 16बी का मिलान फॉर्म 26एएस के साथ करें ताकि इस बात की जांच की जा सके कि टीडीएस प्रमाण पत्र में जो टीडीएस दिखाया गया है, वह सरकार को मिला भी है या नहीं। मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी (एडवोकेट्स, सॉलिसिटर्स ऐंड कंसल्टेंट्स) के प्रबंध साझेदार प्रत्यूष मिगलानी कहते हैं, 'फॉर्म 16 और 26एएस में फर्क होना आम बात है और इसके लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। जैसा कर वसूलने वाले द्वारा टीडीएस जमा कराने में देर होना, टीडीएस रिटर्न में गलत राशि पड़ जाना, गलत स्थायी खाता संख्या (पैन) पड़ा होना और करदाता के बारे में अधूरी जानकारी दी जाना।'
अगर आपको दोनों फॉर्मों में दी गई जानकारी में किसी तरह का बेमेल दिखता है या कोई खाती दिखती है तो दोनों फॉर्म अगल-बगल रखकर देखिए कि बेमेल आखिर किस वजह से हो रहा है। अगर यह फर्क कटौती करने वाले की गलतियों के कारण दिख रहा है तो आपके पास केवल एक उपाय है। आप कटौती करने वाले से संपर्क करें और संशोधित टीडीएस रिटर्न दाखिल करने के लिए कहें। रिटर्न में जरूरी संशोधन भी उसे बताएं।
विक्टोरियम लीगलिस-एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के प्रबंध साझेदार आदित्य चोपड़ा कहते हैं, 'फॉर्म 26एएस पर बारी-बारी हरेक प्रविष्टि देखें और हिसाब लगाएं कि वह सही है या नहीं। फॉर्म 26एएस में जो टीडीएस दिखाया गया है, उसे फॉर्म 16 (वेतन पर टीडीएस) में काटे गए टीडीएस से मिलाएं और देखें कि दोनों रकम एक ही है या नहीं।' यदि फॉर्म 26 एएस की प्रविष्टियों का मिलान किया जाता है तब प्रविष्टि सही होने पर 'एफ ' (फाइनल) का उल्लेख किया जाता है।
जानकारी गायब
कभी-कभी फॉर्म 26एएस में ऐसे लेनदेन का जिक्र दिख सकता है, जो आपने किया ही नहीं होगा। होस्टबुक्स के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा कहते हैं, 'आयकर रिटर्न दाखिल करते समय अगर कोई लेनदेन खुद ही टीडीएस/टीसीएस की सारणी में दिखाई देता है तो आपको इसे हटा देना चाहिए और उसे हटाकर ही रिटर्न दाखिल करना चाहिए।'
यदि करदाता देखता है कि कोई खास लेन-देन उसने किया ही नहीं तब उसे उस व्यक्ति से संपर्क करना चाहिए जिसने लेन-देन किया है और उसके पैन का इस्तेमाल भी किया है। इसमें फौरन सुधार कराना चाहिए।
अब सवाल यह भी उठता है कि यदि आपने कोई लेन-देन किया है लेकिन आप उसका जिक्र नहीं कर पाए तो आपको क्या करना चाहिए? एनए शाह एसोसिएट्स के साझेदार गोपाल बोहरा कहते हैं, 'इस तरह के लेन-देन का सही खुलासा करें। याद रखें कि एक सटीक रिटर्न दाखिल करने और करों का भुगतान करने की जिम्मेदारी करदाता पर ही है।'
आखिर में याद रखें कि अगर फॉर्म 26एएस और टीडीएस, टीसीएस, अग्रिम कर या स्व मूल्यांकन कर सारणी में आयकर दर्ज करते समय दी गई जानकारी के बीच अंतर है तो आपको इस बेमेल जानकारी के बारे में आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है। टीएएस लॉ के पार्टनर उत्सव त्रिवेदी कहते हैं, 'जानकारी में अंतर होने से अतिरिक्त कर रिफंड में अनावश्यक देरी हो सकती है।'
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