देश के गेमिंग उद्योग को देश के विभिन्न राज्यों में कई नियमन का सामना करना पड़ रहा है और इसे 2020 की तुलना में इस साल दोगुने से अधिक निवेश राशि मिली है। उद्योग पर नजर रखने वाले इसके लिए गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता को श्रेय देते हैं जिसका प्रसार महामारी की वजह से ज्यादा हुआ और गेमिंग कंपनियों ने नई तरह के कारोबारी मॉडल को अपनाया। इस उद्योग पर नजर रखने वाले वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में भारत के गेमिंग क्षेत्र में निवेश दोगुने से ज्यादा बढ़कर 79.4 करोड़ डॉलर हो गया है जबकि पिछले साल कुल 33.9 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था। साल 2019 में यह संख्या 17.6 करोड़ डॉलर थी। टाइगर ग्लोबल (ड्रीम11), सिकोया कैपिटल इंडिया (मोबाइल प्रीमियर लीग), विनजो (ग्रिफिन कैपिटल पार्टनर्स), टेनसेंट (ड्रीम11) और मैट्रिक्स पार्टनर्स (जुपी) जैसे प्रमुख निवेशकों ने इस क्षेत्र में पैसा लगाया है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) रोलैंड लैंडर्स ने कहा, 'यहां नई तरह के उत्पाद हैं और निवेशक उन्हें अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं। उद्योग स्व-विनियमित है और इस नए क्षेत्र की पृष्ठभूमि महज 12 साल पुरानी है उसके बावजूद पिछले चार वर्षों में इसकी वृद्धि अभूतपूर्व रही है।' सलाहकार कंपनी रेडसीर और भारत के पहले गेमिंग और इंटरैक्टिव मीडिया वेंचर फंड लुमिकाई की 'इंडिया गेमिंग रिपोर्ट 2021' के मुताबिक देश का गेमिंग बाजार वित्त वर्ष 2026 तक 7 अरब डॉलर तक का होने के लिए तैयार है जो वित्त वर्ष 2021 में इसके मूल्य के तीन गुने से अधिक हो सकता है। गेम भी दो प्रकार के हैं, कैजुअल और कौशल आधारित। ईवाई में निवेश बैंकिंग के पार्टनर अजय शाह ने कहा, 'कैजुअल गेमिंग में इन-ऐप खरीद होती है जो ठीक है और इसके अलावा कई विलय और अधिग्रहण लेनदेन भी हुए हैं। कौशल आधारित गेमिंग में नियम अस्पष्ट हैं, मसलन अगर इसमें कोई कौशल शामिल है तो ठीक है, लेकिन अगर यह मौके का खेल है तो भी यह अपरिभाषित क्षेत्र है।' रेडसीर-लुमिकाई के मुताबिक रियल-मनी गेम्स बाजार के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत है लेकिन लेकिन कैजुअल और हाइपर-कैजुअल गेमिंग के उपयोगकर्ताओं को भुगतान करने के साथ-साथ इन-ऐप खरीदारी भी तेजी से (अगले पांच साल के लिए 30-40 फीसदी की दर से) बढ़ेगी। इसके अलावा भारत में भुगतान वाले गेमर्स की संख्या 2020 के 8 करोड़ से बढ़कर 2025 में लगभग 23.5 करोड़ हो जाएगी। एक औसत गेमर गेमिंग पर एक साल में 16 डॉलर खर्च करता है और गेम खेलने के लिए भुगतान शुरू करने में लगभग एक सप्ताह लगता है। एक प्रमुख नियामकीय पहलू जो उद्योग के लिए चिंता का विषय रहा है, वह यह है कि गेमिंग राज्य का विषय है। कई राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं क्योंकि उनका मानना है कि सभी ऑनलाइन गेमिंग जुए के समान है या वे नशे की लत की तरह है और इससे वित्तीय नुकसान हो सकता है और यह आत्महत्या का कारण भी बन रहा है। ऑनलाइन स्पोट्र्स फैंटेसी मंच, फैंटेसी अखाड़ा के संस्थापक अमित पुरोहित ने कहा, 'नियामकीय अनिश्चितता किसी भी कारोबार के लिए अच्छा नहीं है। कुछ निवेशक भाग लेने में संकोच करते हैं क्योंकि विभिन्न राज्य अलग-अलग तरह के नियामकीय रुख अपना रहे हैं। हालांकि, कारोबार जगत के नेतृत्वकर्ताओं के रूप में हमारी जिम्मेदारी यह है कि हम प्रत्येक राज्य के कानून का पालन करें और नियामकीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए संभावित और मौजूदा निवेशकों से बात करें।' पिछले महीने, कर्नाटक में कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम पारित किया गया जिसमें उन सभी प्रकार के ऑनलाइन गेमिंग को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था जहां पैसे का हस्तांतरण शामिल है। नए कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर फिलहाल कर्नाटक उच्च न्यायालय में 27 अक्टूबर से सुनवाई हो रही है। तमिलनाडु सरकार ने इससे पहले रम्मी, पोकर और अन्य कौशल आधारित खेलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून पारित किया था जिसमें सट्टेबाजी और मौद्र्रिक पुरस्कार शामिल है। लेकिन अगस्त में इसे रद्द कर दिया गया था। जिन अन्य राज्यों ने इस उद्योग पर शिकंजा कसा है उनमें तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, असम और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं । सवाल यह है कि क्या ऑनलाइन खेल, कौशल या मौके का खेल है और इसकी वजह से नियामकीय भ्रम और अनिश्चितता बढ़ती है। उद्योग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'रणनीतिक खिलाड़ी लगातार निवेश कर रहे हैं और वे इस संदर्भ में नजर रख रहे हैं कि हालात कैसे हैं। जहां यह एक बहुत स्पष्ट मामला है, मसलन ड्रीम 11 उसके लिए न्यायिक मिसाल पर गौर करते हैं और खुद को इस बात से संतुष्ट करते हैं कि यह कौशल का एक खेल है। असली पैसे वाले खेलों में मसलन पोकर में न्यायिक मिसाल स्पष्ट नहीं है और यह कौशल और मौके वाले खेल के बीच में ही भ्रमित है।' एक कानून शिक्षा मंच लीगल बाइट्स के अनुसार, 'भारत में, कैसीनो खेल को कौशल और मौके वाले खेलों में बांटा जाता है। कौशल वाले खेलों पर दांव लगाना सही है लेकिन मौके वाले खेल पर दांव लगाना सही नहीं है। कौशल के खेल में आप अन्य खिलाडिय़ों के खिलाफ खेलते हैं और जहां आप एक रणनीति लागू कर सकते हैं। वहीं संभावनाओं वाले खेल में आप एक हाउस के खिलाफ खेलते है और जहां कोई रणनीति कारगर नहीं होती। हालांकि कौन सा खेल कौशल के खेल या मौके के रूप में वर्गीकृत होगा यह समझना आसान नहीं है।' रम्मी, पोकर, फैंटेसी स्पोट्र्स और ई-स्पोट्र्स जैसे खेल को विभिन्न उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय द्वारा कौशल का खेल बताया गया है। भारत में ऑनलाइन गेमिंग के उदय के साथ ही महामारी के बाद, नए गेम और श्रेणियां इस कारोबार में नजर आई हैं। पुरोहित कहते हैं, 'यहां खेल के सभी प्रकार के बाजार हैं और कैजुअल गेम्स और फैंटेसी स्पोट्र्स का आकर्षण निवेशक समुदाय के बीच बढ़ रहा है। नियामकीय ढांचा भी फैंटेसी खेल मंचों के मुकाबले काफी बेहतर हो रहा है और इसलिए निवेशकों की इसमें दिलचस्पी बढ़ रही है।'
