महंगे मूल्यांकन की वजह से हाल में भारतीय इक्विटी की रेटिंग घटाने के बाद मॉर्गन स्टैनली ने अब आशंका जताई है कि उभरते बाजारों (ईएम) को महंगे मूल्यांकन के बीच कैलेंडर वर्ष 2022 में प्रतिफल के लिए 'संघर्ष' करना पड़ सकता है। भारत की डाउनग्रेडिंग के बावजूद वैश्विक रिसर्च एवं ब्रोकरेज हाउस भारतीय इक्विटी पर संरचनात्मक तौर पर सकारात्मक बना हुआ है और शेयर-स्तर पर अवसरों की संभावना देख रहा है। क्षेत्रों में, उसने कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी स्पेस पर 'ओवरवेट' नजरिया कायम रखा है। हालांकि व्यापक स्तर पर, एकमात्र अपवाद जापान है, जहां उसे कैलेंडर वर्ष 2022 में 12 प्रतिशत (टोपिक्स के 2250 पर पहुंचने का लक्ष्य) के दो अंक प्रतिफल की उम्मीद है। वहीं अन्य क्षेत्रों में, मॉर्गन स्टैनली यूरोपीय बाजारों और जापानी इक्विटी पर ओवरवेट, ईएम पर तटस्थ और अमेरिकी इक्वटी बाजारों पर अंडरवेट बनी हुई है। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों जोनाथन एफ गार्नर के नेतृत्व में हाल में लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है, 'ईएम मूल्यांकन मुख्य तौर पर और सापेक्ष संदर्भ में सस्ता है, क्योंकि आगामी पीई जनवरी के 16 गुना के ऊंचे स्तर से गिरकर अब 13 गुना पर आ गया है, लेकिन पांच वर्षीय दायरे के 68वें प्रतिशत पर बना हुआ है और ज्यादा सस्ता होने से बचा हुआ है। हमारा मानना है कि ईएम इक्विटी बाजारों को अगले साल लगातार संघर्ष करना पड़ेगा और हमारे दिसंबर 2022 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 3 प्रतिशत की तेजी आएगी।'शेयर चयन जरूरी मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि वर्ष 2022 बाजार में प्रतिफल के पीछे भागने के बजाय शेयर चयन केंद्रित वर्ष होगा। मॉर्गन स्टैनली ने कहा, '2021 में भी एशिया/ईएम में अवसर व्यक्तिगत बाजार और उप-क्षेत्र स्तर के साथ साथ शेयर चयसन के आधार पर पैदा हुए हैं। हम 2022 में चीन के इक्विटी बाजारों को लेकर सतर्क बने हुए हैं। उनमें मूल्यांकन ज्यादा सस्ता नहीं है।' क्षेत्रों के संदर्भ में वे सेमीकंडक्टर और चाइना इंटरनेट पर अंडरवेट बने हुए हैं। यूटिलिटीज सेक्टर उनका मुख्य अंडरवेट है।आर्थिक वृद्घि टीकाकरण के स्तर, प्रतिबंधों में ढील और मांग में सुधार से एशियाई क्षेत्र में आर्थिक वृद्घि में मजबूती आएगी और 2022 में 5.4 प्रतिशत की वृद्घि दर की उम्मीद है। मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि जहां तक भारत का सवाल है, आर्थिक वृद्घि 6.8 प्रतिशत के मुकाबले 7.5 प्रतिशत पर रह सकती है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है, 'हम यह सुधार उत्तर एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के अलावा शेष क्षेत्र में भी दर्ज किए जाने की संभावना देख रहे हैं।'
