भारत के महंगे मूल्यांकन पर चिंता जताने वालोंं की सूची में अब विदेशी ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए व गोल्डमैन सैक्स शामिल हो गई है। इस साल बाजार दुनिया भर में सबसे ज्यादा 30 फीसदी चढ़ा है। ये फर्म मॉर्गन स्टैनली, नोमूरा और कम से कम तीन अन्य की तरह ही प्रतिकूल जोखिम-प्रतिफल पर सतर्क रुख अपनाया है क्योंंकि पीई गुणक ज्यादा है और अवरोध में इजाफा हो रहा है। सीएलएसए के मुख्य इक्विटी रणनीतिकार एलेक्जेंडर रेडमैन ने भारतीय इक्विटी शीर्षक से एक नोट में कहा है, अनिश्चित वक्त ने देसी इक्विटी में मुनाफावसूली की 10 वजहें रेखांकित की है। उन्होंने 12 नवंबर को एक नोट में कहा, हम भारतीय इक्विटी की 20 महीने की तेजी समाप्त होने की संभावना जता रहे हैं - हमारी चिंता ऊर्जा व विस्तृत इनपुट कीमतों के दबाव को लेकर है, जो मार्जिन पर असर डाल रहा है, चालू खाते का शेष और मुद्रा परिदृश्य, आरबीआई की तरफ से राहत पैकेज की वापसी और भारतीय इक्विटी में तेजी के संकेतक का अभाव है। उच्च मूल्यांकन (आय के मोर्चे पर निराशा की तीव्र संभावना) और मार्जिन पर खरीद करने वालों की संभावित तौर पर कमी हमें भारतीय बाजार में मुनाफावसूली को प्रोत्साहित कर रहा है। एक दिन पहले गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय इक्विटी को डाउनग्रेड कर मार्केट वेट कर दिया है। ब्रोकरेज ने कहा, हमारा मानना है कि भारतीय इक्विटी पर जोखिम-प्रतिफल अभी कम अनुकूल है। ऐसे में भारत को लेकर ओवरवेट पर हम मुनाफावसूली कर रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि अगले 3 से 6 महीने में भारतीय बाजार एकीकृत होगा और व्यापक क्षेत्र के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करेगा। यह कमजोरी लंबे समय तक तीव्र बढ़ोतरी के बाद देखने को मिलेगी। इस साल अब तक देसी इक्विटी ने एमएससीआई एसी एपीएसी (जापान को छोड़कर) इंडेक्स के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के लिहाज से 56 फीसदी बेहतर प्रदर्शन किया है। भारतीय बाजार मार्च 2020 के निचले स्तर के मुकाबले डॉलर के लिहाज से करीब 2.5 गुना ऊपर है। तीव्र बढ़ोतरी ने मूल्यांकन को लंबी अवधि के औसत से ऊपर धकेल दिया है।
