दक्षिण भारत की एक प्रमुख कॉरपोरेट अस्पताल शृंखला ने कहा है कि उसके पास कोविड-19 टीके की लगभग 4 लाख खुराक बची हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हो पाया है और इनकी वैधता भी मार्च महीने तक की है। टीकाकरण की रोजाना दर को देखते हुए अस्पताल शृंखला को उम्मीद है कि टीके का भंडार खत्म हो जाएगा। अन्य लोगों ने टीका निर्माताओं के साथ बातचीत शुरू की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैधता खत्म होने के करीब वाले स्टॉक को वापस ले लिया जाए और उनका वितरण उन जगहों पर किया जाए जहां मांग ज्यादा है। मुंबई के एक अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'कुछ अस्पतालों ने कंपनियों के साथ बातचीत की है कि टीके के स्टॉक वापस लिए जाएं और इसे उन क्षेत्रों में दे दिया जाए जहां ज्यादा मांग है। खुराक बरबाद करने का कोई मतलब नहीं है।' देश भर में ऐसी ही स्थिति है और निजी अस्पतालों के टीकाकरण केंद्रों में भी भुगतान वाले टीके की मांग कम हुई है क्योंकि सरकारी केंद्रों में मुफ्त टीकाकरण अब आसानी से हो जाता है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का अनुमान है कि मुंबई में, निजी अस्पतालों के टीकाकरण में मई-जून के स्तर के मुकाबले मांग में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। महाराष्ट्र में, निजी क्षेत्र में टीकाकरण की औसत रोजाना दर लगभग 25,000 टीके हैं। राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि अगर निजी क्षेत्र में टीकाकरण की दर कम रहती है तो अस्पतालों को अतिरिक्त खुराक, संबंधित जिला अधिकारियों को सौंपने के लिए कहा जा सकता है। हालांकि, अस्पताल इस बात को लेकर इतना आश्वस्त नहीं हैं। शहर के एक निजी अस्पताल के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा, 'सरकार को टीके वापस देना मुश्किल होगा क्योंकि हमने इन्हें सरकारी खरीद मूल्य की तुलना में बहुत अधिक दरों पर खरीदा है।' भारत की दूसरी सबसे बड़ी अस्पताल शृंखला मणिपाल हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) दिलीप जोस ने कहा कि पहले वे कुछ हजार टीके लगा रहे थे लेकिन दूसरी लहर के बाद से एक दिन में 50,000 टीके लगाए जा रहे हैं। जोस ने कहा, 'टीके की कोई खुराक बरबाद नहीं होनी चाहिए। अगर निजी क्षेत्र के पास अतिरिक्त भंडार है और किसी को लगता है कि निश्चित अवधि के दौरान इसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाएगा तो फिर इसे जरूरत पडऩे पर मुफ्त में देना चाहिए।' पहले से ही हैदराबाद शहर के कुछ अस्पतालों ने टीके, लागत मूल्य पर ही देने शुरू कर दिए हैं और वे हर टीके पर 150 रुपये सेवा शुल्क भी नहीं ले रहे हैं। केंद्र ने निजी अस्पतालों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की कीमत क्रमश: 780 रुपये और 1410 रुपये प्रति खुराक कर दी है और अस्पतालों को 150 रुपये बतौर सेवा शुल्क लेने के लिए कहा है। मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) जॉय चक्रवर्ती ने बताया कि टीकाकरण की रोजाना दर 2,300 से कम होकर 300 हो गई है। हालांकि, उनकी इन्वेंट्री में टीके की कुछ हजार खुराक ही हैं और ज्यादातर कोविशील्ड की खुराक हैं। चक्रवर्ती महसूस करते हैं कि अगर स्वास्थ्य सेवा और आवश्यक सेवाओं से जुड़े कामगारों को तीसरा बूस्टर शॉट देने की इजाजत मिलेगी तो मांग में तेजी दिख सकती है। विभिन्न निजी अस्पताल अपने केंद्रों में टीकों की मांग कम होने के कारण टीके कम संख्या में रखते हैं। फोर्टिस हेल्थकेयर के समूह प्रमुख (मेडिकल रणनीति एवं परिचालन) विष्णु पाणिग्रही ने कहा, 'कोविड-19 टीकाकरण हमारे अस्पतालों में जारी हैं। पिछले दो महीने से टीकाकरण की संख्या में कमी आई है। हम मांग के अनुसार टीकों का ऑर्डर दे रहे हैं और पहले के दिनों के मुकाबले यह तादाद कम है। पहले हमें अधिक मांग की वजह से ज्यादा स्टॉक रखना पड़ता था।' देश की सबसे बड़े निजी अस्पताल चेन अपोलो अस्पताल समूह ने इस खबर पर कोई टिप्पणी नहीं दी है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि पहली तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अपोलो के टीकाकरण से होने वाली कमाई में तेज गिरावट हो सकती है। नोमुरा ने हाल ही में अपोलो अस्पतालों के लिए कहा, 'निजी अस्पतालों में टीकाकरण में कमी आई है, ऐसे में कोविड-19 टीकाकरण से होने वाली कमाई में तिमाही दर तिमाही तेज गिरावट हो सकती है। हमारे अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के राजस्व और एबिटा में टीके का योगदान क्रमश: 5.1 फीसदी और 5.5 फीसदी रहा।' आकाश हेल्थकेयर ने कहा कि उसके पास करीब साढ़े तीन महीने तक के लिए कोविड-19 टीके का पर्याप्त स्टॉक है। आकाश हेल्थकेयर समूह के मुख्य परिचालन अधिकारी कौसर शाह ने कहा, 'हम अगला ऑर्डर 15 दिन पहले देंगे।'
