पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को कच्चे तेल एवं गैस का उत्पादन बढ़ाने की खातिर निजी भागीदारों को जोडऩे के लिए अपनी उत्पादन परिसंपत्तियों के हिस्से चिह्नित करने चाहिए। इन विकल्पों में निजी कंपनियों को हिस्सेदारी बेचना और साझेदारी की संभावनाएं तलाशना शामिल है। पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हम ओएनजीसी को खोज क्षेत्र बढ़ाने के लिए कह रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'भारत का कच्चा तेल उत्पादन बढऩा चाहिए, जिसके लिए ओएनजीसी को अपना पोर्टफोलियो बढ़ाना चाहिए और ज्यादा खोज करनी चाहिए। उन्हें गहरे समुद्र में खोज के लिए निजी उद्यमियों को जोडऩा चाहिए और मौजूदा क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाना चाहिए।' कपूर एक पत्र के बारे में सवालों का जवाब दे रहे थे। यह पत्र पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (अन्वेषण) अमर नाथ ने ओएनजीसी को लिखा था, जिसमें कंपनी से दो उत्पादन परिसंपत्तियों में अपनी 60 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए कहा गया था। अमरनाथ ओएनजीसी के बोर्ड में सरकार द्वारा मनोनीत निदेशक के रूप में शामिल हैं। सरकार के रुख के बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'पेट्रोलियम मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कामकाज में दखल नहीं देता है। यह पत्र ओएनजीसी को उत्पादन बढ़ाने के तरीकों पर महज एक सुझाव था। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन बढ़ाने के बारे में ऐसे प्रस्ताव ओएनजीसी के भीतर से भी आए हैं।' अधिकारी ने कहा, 'अगर ओएनजीसी विस्तार करना चाहती है तो उसे कुछ काम छोडऩा और उन्हें आउटसोर्स करना होगा। सफल राष्ट्रीय तेल कंपनियां यही तरीका अपनाती हैं।' नाथ ने ओएनजीसी के चेयरमैन सुभाष कुमार को भेजे पत्र में कहा, 'देश में खोज क्षेत्र के विस्तार के लिए ओएनजीसी को स्टार्टअप, निवेश न्यास, सोसाइटी, फर्मों और कंपनियों आदि तरीकों से अपनी ड्रिलिंग एवं कुआं सेवाओं का विनिवेश करना चाहिए।' नाथ के 28 अक्टूबर 2021 के पत्र में कहा गया है, 'सेवाओं/ड्रिलिंग सेवाओं को अलग करने से कंपनी उसी कमाई के साथ परिसंपत्ति के लिहाज से हल्की बन सकती है। इससे यह पूंजी कुशलता बढ़ा सकती है, घरेलू खोज एवं उत्पादन को बढ़ाने में मदद दे सकती है, प्रतिस्पर्धी बन सकती है और लागत घटा सकती है।' तेल मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, 'भारत में अपस्ट्रीम क्षेत्र में कम से कम 25 बड़ी कंपनियां होना जरूरी है। इस समय दो बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां और दो बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनियां हैं। इस स्तर पर बदलाव होना चाहिए ताकि घरेलू उत्पादन बढ़ सके।'
