भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा 'टी+1' निपटान चक्र क्रियान्वयन पर अपने निर्णय को टाले जाने की संभावना है। रिपोर्टों में कहा गया है कि विदेशी निवेशकों से सुझावों के बाद इस निपटान चक्र को अब चरणबद्घ तरीके से क्रियान्वित किया जा सकता है, और इसे सिर्फ 25 फरवरी से निचले स्तर की 100 कंपनियों के लिए लागू किया जा सकता है। 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होने वाले सर्कुलर के प्रावधानों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के सख्त प्रतिरोध का ध्यान रखा गया है और अलग अलग समय अंतर, कारोबार असमानता से संबंधित जोखिमों और कारोबार के दिन विदेशी एक्सचेंज की व्यवस्था (क्योंकि इससे निपटान चक्र की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है) का जिक्र किया गया है। मौजूदा समय में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर सौदों का निपटान दो दिनों में किया जाता है, जैसा कि सिंगापुर, हांगकांग, आस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य प्रमुख बाजारों में होता है। 'टी+1' निपटान चक्र पर अमल कर चुका ताइवान फिर से टी+2 पर लौट आया है। विश्लेषकों के अनुसार, यदि तरलता का संकट हुआ और एफपीआई ने सौदे बंद कर दिए तो निफ्टी-50 और सेंसेक्स जैसे प्रमुख सूचकांकों के शेयरों द्वारा टी+1 चक्र पर अमल करना जोखिमपूर्ण साबित हो सकता है। नियामक की नई योजना के अनुरूप, बाजार पूंजीकरण के लिहाज से बॉटम-100 शेयर सबसे पहले संक्षिप्त निपटान चक्र में शामिल होंगे जिसके बाद 500 अन्य शेयर हरेक महीने शामिल किए जाएंगे। इससे बाजार ढांचा संस्थानों को नए निपटान चक्र में ढलने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। एफपीआई को भी इस तरह के बदलाव तथा साथ ही शीर्ष-200 शेयरों में कारोबार के लिहाज से पर्याप्त समय मिलेगा। मौजूदा नियम के अनुसार, किसी शेयर के लिए टी+1 निपटान चक्र को चुनने के बाद, स्टॉक एक्सचेंजों को 6 महीने की न्यूनतम अवधि के लिए उसके साथ बने रहना अनिवार्य होगा। उसके बाद, यदि एक्सचेंज फिर से टी+2 निपटान चक्र में वापस जाना चाहेगा तो वह बाजार को एक महीने पहले इसकी जानकारी देकर ऐसा कर सकेगा। बाद में किसी तरह के बाद (टी 1 से टी 2 या टी2 से टी 1 के लिए) के संदर्भ में न्यूनतम नोटिस अवधि जरूरी होगी। चीन बड़े आकार और दायरे का एकमात्र बाजार है जो संक्षिप्त निपटान चक्र (टी0/टी+1) पर परिचालन करता है। भारतीय बाजार वर्ष 2003 में तत्कालीन सेबी चेयरमैन ज्ञानेंद्र नाथ बाजपेई के नेतृत्व में टी+2 व्यवस्था की दिशा में आगे बढ़े थे।
