जब चरम पर हो शेयर बाजार तो कैसा हो निवेशकों का व्यवहार | संजय कुमार सिंह / October 31, 2021 | | | | |
बाजार में हफ्ता भर पहले तक शानदार तेजी थी और इस समय भी सेंसेक्स 60,000 अंक तथा निफ्टी 18,000 के आसपास कारोबार कर रहे हैं। दोनों सूचकांकों में हल्की फुल्की गिरावट भी आई है मगर पिछले कुछ अरसे में इन्होंने जो उछाल भरी है, उसने निवेशकों और विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है। दोनों बड़े सूचकांकों में ऐसी तेजी के कारण निवेशक चककर में पड़ गए हैं। उनके दिमाग में दो बातें ही घूम रही हैं। पहली बात यह है कि सूचकांक के रिकॉर्ड स्तरों के बीच उन्हें बिकवाली कर मुनाफा कमाना चाहिए या नहीं? दूसरा सवाल यह है कि बिकवाली कर भी लें तो उससे मिली रकम किस जगह लगाई जाए?
मुनाफावसूली के लिए माकूल?
मुनाफावसूली का सही समय आंकना बहुत मुश्किल होता है। कोरोना महामारी के दौरान एकदम ढह चुके बाजार में दाखिल होने और उछाल के साथ मुनाफा कमाने से जो निवेशक चूक गए थे, उनमें से कई को लगता है कि अगर इस वक्त बाजार से मुनाफा कमाने में उन्होंने कोताही बरत दी तो ऐसा मौका दोबारा हाथ नहीं लगेगा।
कई निवेशकों को यह भी लगता है कि इतनी जबरदस्त तेजी के साथ गिरावट आना तय है, इसलिए बिकवाली कर मुनाफा कमाने का यही माकूल वक्त है।
मगर विशेषज्ञों को कहना है कि हर बार तेजी के बाद बाजार का फिसलना जरूरी नहीं है। सेबी के पास पंजीकृत निवेश सलाहकार कंपनी प्लूटस कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर कपूर कहते हैं, 'वित्तीय तंत्र में इस समय नकदी इतनी अधिक है कि बाजार में एकाएक तथा तेज गिरावट की कोई आशंका नजर नहीं आती।'
हालांकि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व नवंबर से प्रोत्साहन उपायों में कटौती शुरू कर सकता है और उसका रुख भी सख्त हो सकता है।
इस कारण कुछ विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बिकवाली के जरिये अपनी रकम बाजार से निकाल सकते हैं मगर देसी वित्तीय संस्थाएं तथा खुदरा निवेशक शायद ऐसा नहीं करेंगे।
अगर उनका रुख सही रहता है तो बाजार में बड़ी गिरावट नहीं आएगी।
एक पहलू यह भी है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। बाजार के लिहाज से यह भी सकारात्मक संकेत है। वैलिडस वेल्थ के मुख्य निवेश अधिकारी राजेश चेरुवु कहते हैं, 'आर्थिक वृद्धि तेज होने की संभावनाएं प्रबल होने से बाजार में तेजी बने रहने के ज्यादा कारण नजर आ रहे हैं।'
मगर ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि बाजार में तेजी जारी रहने की सूरत में भी कुछ मुनाफावसूली सही रहेगी। कपूर करते हैं, 'बाजार जिस तरह से दौड़े हैं, उसमें शेयरों में जरूरत से ज्यादा आवंटन हो जाना स्वाभाविक है। इसलिए थोड़ी-बहुत मुनाफावसूली सही रहेगी।'
क्या करें म्युचुअल फंड निवेशक?
अगर निवेशक बिकवाली के जरिये कुछ मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें अपने मूल संपत्ति आवंटन और उप संपत्ति आवंटन को ध्यान में रखते हुए ही ऐसा करना चाहिए। कपूर की राय है, 'शेयर से रकम निकाल लें और उसे डेट फंडों तथा सोने में लगाएं।
इसी तरह अगर स्मॉल कैप और मिड कैप में निवेश आपकी मूल सीमा से अधिक हो गया है तो उसे कम करना ही ठीक रहेगा।'
जो निवेशक सुरक्षा को अधिक महत्त्व देते हैं उन्हें अपेक्षाकृत छोटी अवधि के डेट फंडों में निवेश करना चाहिए। आपने निवेश के लिए जो भी अवधि सोच रखी है, उसी से मिलती जुलती औसत पोर्टाफोलियो अवधि तलाशिए। इससे आपको सही फंड चुनने में मदद मिलेगी। ब्याज दरें बढ़ती हैं तो परिपक्वता अवधि पूरी होने पर इन फंडों का औसत प्रतिफल (यील्ड टू मैच्योरिटी) बढ़ेगा। लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशक टारगेट मैच्योरिटी फंडों (निश्चित परिपक्वता अवधि वाले म्युचुअल फंड) का चयन कर सकते हैं।
अगर आप बमुश्किल एक वर्ष के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आर्बिट्राज फंडों का चयन करें। ये छोटी अवधि के फंड की तरह ही प्रतिफल दे सकते हैं मगर इन पर कर शेयरों की तरह वसूला जाएगा, इसलिए करोपरांत प्रतिफल निश्चित रूप से बेहतर होगा। कपूर कहते हैं, 'दो से तीन वर्षों के लिए निवेश करना चाहते हैं तो परंपरागत हाइब्रिड फंड पर दांव खेल सकते हैं। ये फंड 10 से 25 प्रतिशत तक आवंटन शेयरों में करते हैं।'
कपूर उन फंडों में निवेश की सलाह देते हैं जो अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का ज्यादातर हिस्सा अधिक लाभांश देने वाले शेयरों में निवेश करते हैं।
कपूर के अनुसार ऐसे फंड 7.0-7.5 प्रतिशत तक प्रतिफल दे सकते हैं। लेकिन जो लोग महज एक वर्ष के लिए निवेश करते हैं, उन्हें अपनी रकम फौरन शेयरों से निकाल लेनी चाहिए और फिक्स्ड इनकम वाली सुरक्षित योजनाओं में लगा देनी चाहिए।
बाजार में जो तेजी आई है, उसका फायदा निवेशक एक और तरीके से उठा सकते हैं। वे म्युचुअल फंडों में अपने निवेश की गुणवत्ता सुधारने के लिए इस तेजी का इस्तेमाल कर सकते हैं। चेरु वु कहते हैं, 'कई ऐसे फंड भी इस समय चढ़ गए हैं, जो प्रदर्शन के लिहाज से पिछड़े ही रहे थे। यही सही मौका है।
उनसे रकम निकालिए और बेहतर गुणवत्ता वाले इक्विटी फंडों में लगा दीजिए।' वह उन फंडों से भी निवेश निकालने की सलाह देते हैं जिनकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) काफी अधिक हो गई है। चेरुवु कहते हैं, 'ऐसे फंड बाजार में बदले हालात के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में बदलाव नहीं कर पा रहे हैं। इन फंडों से निकल जाइए और उचित आकार वाले फंडों में निवेश कीजिए।'
खुदरा निवेशकों को इस वक्त थीमैटिक और सेक्टोरल फंडों में निवेश करने की गलती नहीं करनी चाहिए। फिलहाल इनमें से कई फंडों का पिछला प्रतिफल काफी आकर्षक दिखाई दे रहा है। मगर उनमें निवेश करने पर आपके पोर्टफोलियो को चोट लगने की आशंका बहुत अधिक है।
शेयरों पर सीधे दांव कैसे खेलें?
जो निवेशक ज्यादा जांच-पड़ताल किए बगैर सीधे शेयरों पर दांव खेल जाते हैं, उन्हें बिकवाली कर बाजार से इसी वक्त बाहर निकल जाना चाहिए। कपूर कहते हैं, 'इन निवेशकों ने अभी तक काफी पैसा बनाया है, जो उनके हुनर की वजह से नहीं बल्कि किस्मत की वजह से आया है। उन्हें तत्काल मुनाफावसूली करनी चाहिए और बाजार से निकल जाना चाहिए।' कपूर मानते हैं कि कई शेयरों का बाजार मूल्यांकन बेतुके स्तर तक पहुंच गया है। पूरे बाजार में गिरावट बेशक नहीं आए, इन शेयरों में गिरावट जरूर आ सकती है। कपूर कहते हैं, 'गिरावट तो आएगी ही और जब गिरावट शुरू होगी तो इन निवेशकों को उसकी वजह ही समझ नहीं आएगी। वजह समझ नहीं आएगी तो शेयर कब बेचने चाहिए, यह भी पता नहीं चलेगा और घाटा हो जाएगा।'
शेयरों में सीधे निवेश करने वाले जो निवेशक जोखिम से महफूज रहना चाहते हैं, उन्हें लार्ज-कैप ब्लू चिप शेयरों में रकम लगा देनी चाहिए। कपूर कहते हैं, 'ये शेयर महंगे होते हैं, इसलिए निकट भविष्य में इनसे भारी प्रतिफल नहीं मिलता। मगर आपकी रकम इनमें सुरक्षित रहती है।' जो निवेशक शेयरों में सीधे रकम लगाने के हुनर में माहिर हैं, वे खुद शोध कर सकते हैं और उसी के मुताबिक बदलाव कर अपने पोर्टफोलियो में तेजी से चढऩे वाले शेयर शामिल कर सकते हैं। चेरुवु कहते हैं, 'उम्दा शेयरों का पिछला प्रदर्शन शानदार रहा है मगर ग्रोथ ओरिएंटेंड शेयरों का प्रदर्शन उनसे भी बेहतर रह सकता है।' वह निवेशकों को कर्ज बोझ से दबी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने से आगाह करते हैं मगर 1:1 डेट टू इक्विटी अनुपात वाले शेयरों में निवेश किया जा सकता है।
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