सरकार ने गुरुवार देर रात शक्तिकांत दास को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर के रूप में तीन साल के लिए फिर नियुक्त कर दिया। इससे संकेत मिलता है कि महामारी के दौरान केंद्रीय बैंक द्वारा अपनाई गई नीतियों को सरकार का समर्थन प्राप्त है। नियुक्ति समिति द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, 'मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सेवानिवृत्त आईएएस श्री शक्तिकांत दास की भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप मेें पुनर्नियुक्ति को 10 दिसंबर 2021 के बाद तीन साल या आगामी आदेशों (इनमें से जो भी पहले हो) तक मंजूरी दे दी है।' दास भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस ) से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने उन्होंने 12 दिसंबर, 2018 को आरबीआई के 25वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला था। आरबीआई में नियुक्ति से पहले एक साल के लिए वह 15वें वित्त आयोग के भी सदस्य रहे थे। अगर दास छह साल का अपना कार्यकाल पूरा करते हैं तो वह बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक आरबीआई गवर्नर के पद पर रहने वाले व्यक्ति होंगे। राव 1 जुलाई, 1949 से 14 जनवरी, 1957 तक केंद्रीय बैंक के प्रमुख रहे थे। बिमल जालान का गवर्नर के रूप में कार्यकाल छह साल में दो महीने कम रहा था। वह इस पद पर 22 नवंबर, 1997 से 6 सितंबर, 2003 तक रहे। जालान के बाद कोई अन्य गवर्नर आरबीआई में 5 साल से अधिक नहीं रहा। दास अगर अपना कार्यकाल पूरा करते हैं तो 2024 के आम चुनाव उनके गवर्नर रहते ही होंगे। इस तरह वह नई सरकार को भी सेवाएं देंगे। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि दास की पुन: नियुक्ति से नीतियों में निरंतरता सुनिश्चित होगी। बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, 'गवर्नर दास की अगुआई में आरबीआई ने अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को कोविड-19 की चोट से बचाने में शानदार काम किया है। गवर्नर दास की दोबारा नियुक्ति से नीतियों में निरंतरता, निर्णायक एवं नई नीतिगत पहल और व्यापक भागीदारों के साथ प्रभावी संवाद सुनिश्चित होगा।' अर्थशास्त्रियों और बॉन्ड बाजार के डीलरों को अब उम्मीद है कि नीतियों को सामान्य बनाने के संकेत के रूप में शायद दिसंबर तक रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी होगी। विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई में अपने भविष्य का पता नहीं होने की स्थिति में दास बड़े नीतिगत फैसले लेने में हिचक सकते थे। रीपो दर 4 फीसदी है और रिवर्स रीपो दर 3.35 फीसदी है। इससे नीतिगत दर में अंतर बढ़कर 65 आधार अंक हो गया है, जबकि आम तौर पर यह 25 आधार अंक होता है। मौद्रिक नीति को सामान्य बनाने के लिए इसे वापस 25 आधार अंक पर लाना होगा। केंद्रीय बैंक पहले ही सामान्यीकरण की तरफ कदम बढ़ा चुका है। हालांकि वह इस ऐसा कहने में सतर्कता बरत रहा है। दास की अगुआई में आरबीआई ने कई तरीकों से विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों की नीतियां अपनाईं और उन्हें भारत की जरूरत के मुताबिक आकार दिया। ये नीतियां केंद्रीय बैंक के लिए मददगार रही हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, 'गवर्नर के लिए अगले तीन साल भी पहले जितने ही अहम रहेंगे। विशेष रूप से आरबीआई की मौजूदा व्यवस्था ने विवेक के हिसाब से फैसले की नीति को अपनाकर और आरबीआई को ईसीबी तथा यूएस फेडरल रिजर्व के समान प्रशंसित बनाकर मौद्रिक नीति में एक नए विचार पर पुख्ता मुहर लगा दी है, जिसकी अभी तक कमी थी।' घोष ने कहा, 'हमें लगता है कि आरबीआई केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता बनाए रखते हुए अपनी उम्मीदें पूरी करने के भारत के सपने को पूरा करने के लिए भारत सरकार के साथ समन्वित नीति पर चलता रहेगा।' भागीदारों की नजर इस पर भी बनी रहेगी कि दास की अगुआई में आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी तकनीक कंपनियों और फिनटेक की बढ़ती मौजूदगी से कैसे निपटता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरह दास की अगुुआई में आरबीआई भी नीति को सामान्य बनाने की तरफ धीरे-धीरे बढऩे लगा है। केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति में और नकदी झोंकना रोक दिया था। इसके अलावा परिवर्तनशील दर रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) की ज्यादा मात्रा से केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे तरलता को कम करेगा। वीआरआरआर दिसंबर में 6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को 14 दिन की वीआरआरआर के अलावा 28 दिन की वीआरआरआर की घोषणा की। इसका मकसद लंबे समय तक तरलता को आर्थिक प्रणाली से बाहर रखना है। दास ने मौद्रिक नीति के संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में कहा था कि वीआरआरआर स्वैच्छिक है। लेकिन ऊंचे प्रतिफल के प्रोत्साहन से पिछली सभी वीआरआरआर सफल रही हैं। इसी संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने नीतिगत सामान्यता के तीन कदमों- तरलता रोकने, तरलता हटाने और फिर नीतिगत दरों को बहाल करने का जिक्र किया था। विश्लेषक लंबे समय तक रीपो दर में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अगर वृद्धि नहीं घटती है तो अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रीपो दर में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है।
