सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भारती एयरटेल को सरकार से 923 करोड़ रुपये की जीएसटी के रिफंड का दावा करने की इजाजत दी गई थी। दूरसंचार ऑपरेटर ने दावा किया था कि उसने जुलाई-सितंबर 2017 में अतिरिक्त जीएसटी का भुगतान किया था और रिफंड की खातिर वह उस समय के रिटर्न को संशोधित करना चाहती है। कंपनी ने कहा था कि उसने ज्यादा कर का भुगतान इसलिए किया था क्योंंकि तब जीएसटी सिस्टम तकनीकी अवरोध का सामना कर रहा था और इस वजह से वह इनपुट टैक्स क्रेडिट का सही अनुमान नहीं लगा पाई। विशेषज्ञों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का विभिन्न कंपनियों पर असर होगा, जिसने आईटी सिस्टम में अवरोध के कारण ज्यादा कर का भुगतान किया था और उसमें सरकारी व अन्य कंपनियां शामिल हैं। शुरुआत में जीएसटी सिस्टम स्थिर नहींं हो पाया था। जीएसटी की व्यवस्था जुलाई 2017 में लागू हुई थी। ऐसे तकनीकी अवरोध के कारण विभिन्न फॉर्म को अस्थायी तौर पर स्थगित रखा गया था और कंपनियां इनपुट-आउटपुट वाले संक्षिप्त रिटर्न जीएसटीआर3बी फाइल कर रही थीं। भारती एयरटेल का शेयर आज 1.67 फीसदी की गिरावट के साथ 690.60 रुपये पर बंद हुआ।
