मॉर्गन स्टैनली ने भी भारतीय इक्विटी के मूल्यांकन पर सवाल उठाया है और गुरुवार को उसने इस पर अपना रुख ओवरवेट से इक्वलवेट कर दिया और कुछ निवेश की निकासी की सिफारिश की। इससे पहले कई ब्रोकरेज फर्म मूल्यांकन पर सवाल उठा चुकी है। मॉर्गन स्टैनली के इक्विटी रणनीतिकारों डैनियल ब्लेक और जोनाथन गार्नर ने एशिया प्रशांत के बाजारों पर एक नोट में कहा है, मजबूत सापेक्षिक लाभ के बाद हम भारतीय इक्विटी पर अपना रुख बदलकर इक्वलवेट कर दिया है। हम आय में ढांचागत सुधार की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन 24 महीने के फॉरवर्ड पीई पर हम अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी कदम, फरवरी में आरबीआई की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से पहले और ऊर्जा की उच्च लागत के कारण कुछ एकीकरण देख रहे हैं। ब्रोकरेज ने इंडोनेशिया पर अपना रुख ओवरवेट कर दिया है, वहीं चीन पर इक्वलवेट और ताइवान पर अंडरवेट का रुख बरकरार रखा है। हाल में एचएसबीसी, यूबीएस, नोमूरा और जेफरीज ने चीन व अन्य एशियाई देशों का भारांक बढ़ाया है जबकि भारत के महंगे मूल्यांकन को लेकर चिंता जाहिर की है। इससे पहले मॉर्गन स्टैनली ने एशिया प्रशांत (जापान को छोड़कर) के बाजारों और उभरते बाजारों के पोर्टफोलियो में 50 आधार अंक ओवरवेट किया था। हालांकि भारत व उभरते बाजारों के इस साल के प्रदर्शन ने ब्रोकरेज को तटस्थ रुख अपनाने को प्रोत्साहित किया। पिछले छह महीने में भारतीय बाजारों में 26 फीसदी की उछाल आई है और उसने एमएससीआई ईएम इंडेक्स के मुकाबले 30 फीसदी उम्दा प्रदर्शन किया है। मॉर्गन स्टैनली ने हालांकि कहा कि अग्रणी संकेतक भारत के लिए सकारात्मक हैं, लेकिन अगले 3 से 6 महीने में उसे मूल्यांकन के कारण रिटर्न में अवरोध दिख रहा है, खास तौर से अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी कदम, ऊर्जा की उच्च लागत और आरबीआई की तरफ से फरवरी 2022 में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना के कारण।
