देश की प्रमुख कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजूकी का शुद्घ मुनाफा चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में पिछले साल की समान तिमाही के 1,371.60 करोड़ रुपये की तुलना में 65.35 फीसदी घटकर 475.30 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने कहा कि कच्चे माल की लागत बढऩे और सेमीकंडक्टर की किल्लत के कारण उत्पादन घटने से मुनाफे पर असर पड़ा है। हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि दोनों मोर्चों पर उसे जल्द राहत मिल सकती है क्योंकि नवंबर से उत्पादन बढ़ेगा और कीमती धातुओं की कीमतों में भी नरमी के संकेत हैं। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान कंपनी की एकीकृत परिचालन आय 20,551 करोड़ रुपये रही, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 18,756 करोड़ रुपये थी। कच्चे माल की लागत में इजाफा मुख्य रूप से जिंसों के दाम बढऩे की वजह से हुआ है। मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि सितंबर तिमाही के अंत में कच्चे माल की लागत अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर थी। कंपनी ने कहा, 'समीक्षाधीन तिमाही में स्टील, एल्युमीनियम और कीमती धातुओं के दाम में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है।' मारुति ने उत्पादन लागत की कुछ हद तक भरपाई करने के लिए अपने वाहनों के दाम में चार बार इजाफा किया है। हालांकि भार्गव ने कहा कि एक स्तर के बाद कंपनी को खुद बढ़ी लागत का बोझ वहन करना पड़ रहा है। वाहनों के दाम उस अनुपात में बढ़ाना ठीक नहीं होगा क्योंकि इससे बिक्री प्रभावित हो सकती है। स्टील के दाम 38,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर 65,000 रुपये प्रति टन हो गए और तांबे का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में वित्त वर्ष 2020 के 5,200 डॉलर से बढ़कर 10,200 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है। अन्य कीमती धातुओं जैसे रोडियम के दाम भी 18,000 रुपये प्रति ग्राम से बढ़कर 64,000 रुपये प्रति ग्राम पहुंच गए हैं। वाहन कंपनियों का आपूर्तिकर्ताओं के साथ आमतौर पर 3 से 6 महीने का अनुबंध होता है और जिंसों के दाम बढऩे पर इसका असर कुछ समय बाद दिखाई देता है। भार्गव ने कहा, 'जिंसों की लागत 6.4 प्रतिशत बढ़ी है, जिसका कुल उत्पादन लागत पर भारी असर पड़ा है।' इसके अलावा सेमीकंडक्टर की किल्लत के कारण कंपनियों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ रही है, जिससे बिक्री पर भी असर पड़ रहा है। सितंबर और अक्टूबर में कंपनी के उत्पादन में 50 से 60 फीसदी की कमी आई है। भार्गव ने कहा, 'सेमीकंडक्टर चिप की कमी के कारण दुनिया भर में कारों के उत्पादन पर असर पड़ा है। हमारे काफी ग्राहक कारों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालात किसी के नियंत्रण में नहीं है।' सितंबर तिमाही में कंपनी ने 3,79,541 कारों की बिक्री की। चिप और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों की कमी के कारण मारुति सितंबर तिमाही में 1,16,000 कारों का उत्पादन नहीं कर पाई। भार्गव ने कहा कि साल की शुरुआत में कंपनी ने उत्पादन में इतनी कमी का अनुमान नहीं लगाया था। इस बीच मारुति सुजूकी ने कहा कि वह 2025 के बाद ही देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उतारेगी। कंपनी का कहना है कि इस समय ऐसे वाहनों की मांग कम है और जब भी वह ई-वाहन क्षेत्र में उतरेगी तो हर महीने लगभग 10,000 गाडिय़ां बेचना चाहेगी।
