भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि ऑडिटरों को नवोन्मेषी अंकेक्षण और संबंधित पक्षों के लेन-देन को लेकर निश्चित रूप से सतर्क रहने और किसी गड़बड़ी की स्थिति में नियामक को तत्काल सूचित करने की जरूरत है। उनकी यह टिप्पणी रिजर्व बैंक द्वारा ऑडिटिंग फर्म हरिभक्ति ऐंड कंपनी पर अगले वित्त वर्ष से 2 साल के लिए नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों की ऑडिट पर प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ दिन बाद आई है। किसी फर्म का नाम न लेते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कुछ मामलों में ऑडिटर खातों के साथ मानवीय छेड़छाड़ और गलतबयानी पकडऩे में असफल रहे हैं और चालाकी वाली अकाउंटिंग के मामलों में ज्यादा सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑडिटर का यह भी काम है कि खातों में हेरफेर के बारे में तत्काल नियामक को सूचित किया जाए, लेकिन कुछ मामलों में उन्होंने ऐसा नहीं किया। रिजर्व बैंक ने श्रेयी इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस के ऑडिटर हरिभक्ति ऐंड कंपनी पर रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 45 एमए के तहत प्रतिबंध लगा दिया है। दास ने नैशनल एकेडमी ऑफ ऑडिट ऐंड अकाउंट्स (एनएएए) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा किऑडिटर आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में पहले मोर्चे के रक्षक हैं और अर्थव्यवस्था के लिए तेज ऑडिट की सख्त जरूरत है। गवर्नर ने कहा, 'उपलब्ध साक्ष्यों और सूचनाओं के आधार पर आर्थिक फैसले तेजी से बढ़ रहे हैं। गलत सूचना से खराब फैसला लिया जा सकता है या अतिरिक्त आवंटन हो सकता है। यह जनता के हित में नहीं है, न ही व्यक्तिगत हिस्सेदारों के हित में है।' बैंकिंग क्षेत्र का उदाहरण देते हुए गवर्नर ने कहा कि यदि कोई बैंक गलत और भ्रामक वित्तीय विवरणों के आधार पर कर्ज देता है, तो उधार लेने वाला अंत में इसे चुकाने में असमर्थ होगा और आखिरकार इसका असर जमाकर्ताओं की सुरक्षा पर पड़ेगा। बैंकों को खराब कर्ज के कारण जोखिम से बचने के लिए अपने नुकसान की भरपाई ब्याज दरें बढ़ाकर करनी होगी। इससे आर्थिक रिकवरी भी रेंगने लगेगी और जमाकर्ताओं की सुरक्षा के साथ भी समझौता होगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा, 'बाजार में ऑडिट वाले फाइनैंशियल स्टेटमेंट पर बाजार में भरोसा बनाने में वैधानिक ऑडिटरों की अहम भूमिका होती है। बैंकिंग उद्योग में यह भूमिका खासकर वित्तीय स्थिरता के लिए अहम हो जाती है, क्योंकि बैंक जनता से धन जमा कराते हैं। इस तरह की जनता की भूमिका के प्रभावी होने में ऑडिट की गुणवत्ता की अहम भूमिका है।' दास ने कहा, 'वैधानिक ऑडिटर का दायित्व है कि वह बैंकों व नियमन के दायरे में आने वाली अन्य इकाइयों की ऑडिट करते समय कोई अहम बात सामने आने पर अपने सुपरवाइजर (रिजर्व बैंक) को सीधे जानकारी दें। बैंकों व एनबीएफसी के सुपरवाइजर के रूप में रिजर्व बैंक की दिलचस्पी होती है कि वैधानिक ऑडिटर किस तरह से नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों की ऑडिट कर रहे हैं।' ऑडिरों की निगरानी को उचित बताते हुए उन्होंने कहा, 'ऑडिट सामान्यतया तब असफल होती है, जब ऑडिटर की स्वतंत्रता के साथ समझौता होता है या ऑडिटर में योग्यता की कमी होती है।' गर्वनर ने कहा कि आईएनडी-एएस अकाउंटिंग की व्यापकता को लेकर भी ऑडिटरों को सावधान रहने की जरूरत है। अभी बैंकों को छोड़कर नियमन के दायरे में आने वाली सभी इकाइयों पर मानक लागू है। उन्होंने कहा कि ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है और इसलिए रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऑडिट में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'बहुत कुछ किया गया है और बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है।'
