भारतीय शेयरों का मूल्यांकन काफी ज्यादा होने से फिक्रमंद विदेशी ब्रोकरेज फर्में सतर्क रुख अपनाने की बात कह रही हैं। पिछले एक हफ्ते में कम से कम तीन फर्मों ने अपने ग्राहकों को चीन और इंडोनेशिया जैसे बाजारों में निवेश पर विचार करने को कहा है क्योंकि इस साल इन बाजारों का प्रदर्शन भारतीय बाजार की तुलना में कमतर रहा है। जापान की फर्म नोमुरा ने जोखिम-पुरस्कार प्रतिकूल होने का हवाला देते हुए भारतीय शेयरों का भारांश 'ओवरवेट' से कम कर 'न्यूट्रल' यानी तटस्थ कर दिया है। इससे पहले यूबीएस ने ओवरवेट रुख तो बरकरार रखा मगर उसने कहा कि भारतीय बाजार का आकर्षण कम हो गया है क्योंकि यहां के शेयरों का मूल्यांकन आसियान देशों की तुलना में काफी अधिक हो गया है। इस बीच जेफरीज के वैश्विक इक्विटी रणनीति प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने कहा कि भारत के ओवरवेट होने के उनके रुख पर जोखिम मंडरा रहा है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि घरेलू बाजार में हालिया गिरावट के साथ ही ब्रोकरेज फर्मों ने अपने रुख में बदलाव किया है। अगर आईसीआईसीआई बैंक के शेयर में 11 फीसदी की उछाल नहीं आती तो बेंचमार्क सूचकांक आज लगातार पांचवें दिन गिरावट में रहता। आईसीआईसीआई बैंक ने सेंसेक्स में 511 अंक का योगदान दिया। इसके बावजूद सेंसेक्स महज 145 अंक बढ़त के साथ 60,967 पर बंद हुआ। दूसरी ओर निफ्टी स्मॉलकैप में 2.3 फीसदी और मिडकैप में 1.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। ये दोनों सूचकांक अपने हालिया उच्च स्तर से 8 फीसदी नीचे कारोबार कर रहे हैं, जो बाजार में बढ़ते जोखिम को दर्शाता है। नोमुरा के इक्विटी रणनीतिकार चेतन सेठ और अमित फिलिप्स ने एक नोट में कहा, 'मौजूदा मूल्यांकन पर अब हमें जोखिम-पुरस्कार प्रतिकूल लग रहा है और बाजार के लिए जोखिम दिख रहे हैं। यही वजह है कि हमने अपने क्षेत्रीय आवंटन में भारतीय बाजार का भारांश घटाकर तटस्थ कर दिया है। हम इसकी जगह चीन और आसियान के बाजारों पर ध्यान दे सकते हैं, जिनका प्रदर्शन भारत की तुलना में कमतर रहा है।' सकारात्मक रुख से अन्य एशियाई बाजारों को भारत की तुलना में अपना प्रदर्शन सुधारने में मदद मिली है। पिछले हफ्ते निफ्टी का प्रदर्शन 6 हफ्तों में पहली बार एशियाई बाजारों की तुलना में कमतर रहा। निफ्टी ने एमएससीआई एशिया पैसिफिक सूचकांक में मई के बाद से 26 हफ्तों में से 21 में बेहतर प्रदर्शन किया है।
