बीएस बातचीतकोविड-19 वैश्विक महामारी प्रेरित लॉकडाउन के कारण मूवी थिएटर क्षेत्र में हुए व्यवधान का अब अंत होने जा रहा है। देश में 1 अरब से अधिक लोगों का टीकाकरण होने और वैश्विक महामारी संबंधी पाबंदियों में ढील दिए जाने के साथ ही सिनेमा थिएटर भी अब खुलने लगे है। देश की सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स शृंखला पीवीआर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अजय बिजली ने राम प्रसाद साहू से बातचीत में संभावित सामग्री, मांग परिदृश्य और लागत में कटौती संबंधी उपायों के बारे में विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश: वैश्विक महामारी के दौरान सामग्री को पहले ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने का चलन रहा है। क्या अब स्थिति सामान्य होने के साथ्थ ही सामग्री का रुख ओटीटी से मल्टीप्लेक्स की ओर होने लगा है? जब सिनेमाघरों बंद कर दिए गए थे तो सामग्री निर्माताओं को अपनी फिल्में बेचने के लिए एक आउटलेट की तलाश थी। नेटफ्लिक्स और एमेजॉन को अपना ग्राहक आधार बढ़ाने के लिए बेहतर सामग्री की जरूरत थी। जो कुछ भी हुआ उसका कारण यह था कि राजस्व सृजित करने वाला एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बंद हो गया और ऐसा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में हुआ। इसलिए इस प्रकार के लेनदेन पर लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। सिनेमाघरों को फिर से खुलने के साथ ही डिज्नी और वार्नर जैसे मनोरंजन क्षेत्र के दिग्गज बड़े पर्दे पर अपनी वापसी कर रहे हैं। ओटीटी पर अधिक सामग्रियों का रिलीज होना एक असाधारण घटना थी। एक लंबे अंतराल के बाद सिनेमाघरों का परिचालन सुचारु होने जा रहा है और ऐसे में कुछ सामग्रियों कोओटीटी पर जबकि शेष को बड़े पर्दे पर रिलीज किए जाएंगे।क्या फिल्मों को सिनेमाघरों में पहले रिलीज करना निर्माताओं के लिए अधिक आकर्षक है? यह सामग्री को मुद्रीकरण यात्रा की एक गतिविधि है। मुद्रीकरण की यात्रा हमेशा सिनेमाघरों में रिलीज होने के साथ शुरू होती रही है क्योंकि उससे मात्रात्मक एवं गुणात्मक बेंचमार्क निर्धारित होता है। फिल्मों को भुनाने की यात्रा को सिनेमाघरों में रिलीज के साथ शुरू करना काफी महत्त्वपूर्ण होता है। वैश्विक महामारी से पहले दुनिया भर में बॉक्स-ऑफिस का राजस्व 42 अरब डॉलर रहता था जिसमें से 21 अरब डॉलर की रकम स्टूडियो और फिल्म निर्माताओं के पास जाती थी। अब काफी रकम टेबल पर छोडऩा पड़ता है।संभावित सामग्रियों की स्थिति कैसी है और बॉलीवुड, हॉलीवुड एवं क्षेत्रीय फिल्मों में क्या अंतर है? मैं संभावित सामग्रियों को लेकर काफी खुश हूं। हॉलीवुड ने सिनेमाघरों में रिलीज करना बंद कर दिया है। जेम्स बॉन्ड की मूवी नो टाइम टु डाई को बड़े पर्दे पर रिलीज होने के लिए 24 महीनों तक इंतजार करना पड़ा था। सूर्यवंशी और 83 करीब 18 से 24 महीनों की देरी से क्रमश: दीवाली और क्रिसमस पर रिलीज होने के लिए तैयार हैं। यश राज फिल्म्स ने खुद को बड़े पर्दे के लिए प्रतिबद्ध किया है। रजनीकांत अभिनीत फिल्म रिलीज होने के लिए तैयार है। हमारा करीब 90 फीसदी राजस्व भारतीय सामग्रियों (बॉलीवुड एवं क्षेत्रीय फिल्म) से आता है जबकि शेष 10 फीसदी राजस्व हॉलीवुड एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्मों से आता है। फिलहाल यही अनुपात जारी रहने के आसार हैं।टिकटों की बिक्री के मोर्चे पर आप वैश्विक महामारी से पहले के स्तर पर कब तक लौट पाएंगे? केवल चार राज्यों में 100 फीसदी क्षमता की अनुमति दी गई है। अधिकतर राज्यों में अभी 50 फीसदी क्षमता पर परिचालन हो रहा है। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है लेकिन 2021-22 की चौथी तिमाही से जिंदगी सामान्य होने के आसार हैं। लेकिन यह दो कारकों पर निर्भर करेगा- तीसरी लहर न आए और 50 फीसदी क्षमता के साथ परिचालन की पाबंदी हटा ली जाए। मांग के मोर्चे पर दक्षिण भारत में अब तक का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
