भारतीय बाजारों में विदेशी मुद्रा ऑप्शंस कारोबार की शुरुआत को लेकर प्रयास तेज हो गए है। इस बाबत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है। इस पूरी घटना पर नजर रखने वाले सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि फॉरेन करेंसी ऑप्शंस कारोबार को इस साल अक्टूबर तक शुरु करने के प्रयास के तहत एक सात सदस्यीय समिति संभावनाओं पर विचार कर रही है। इस समिति में सेबी और आरबीआई दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भारत से बाहर क्रॉस करेंसी सौदों में कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पडा था और इस लिहाज से फॉरेन करेंसी ऑप्शंस कारोबार शुरू करने की पहल का महत्व काफी बढ़ गया है। इस पूरी घटना पर नजर रखने वाले एक सूत्र ने कहा 'करेंसी ऑप्शंस से ऐसे कई निर्यातकों और आयातकों को लाभ पहुंचेगा जो प्राय: अपने ठेकों पर बड़े स्तर पर करेंसी रिस्क लेते हैं। छोटी और मझोले उद्योगों को विदेशी मुद्रा दरों में होने वाले परिवर्तनों से पैदा होने वाले जोखिम से बचने के लिए मुख्य रूप से करेंसी ऑपशंस जैसे उत्पाद की जरूरत होती है।' फॉरेन करेंसी ऑप्शंस में दो पार्टियों के बीच समझौता होता है जिसके तहत ऑप्शन की खरीदारी करने वाले को भविष्य में किसी निश्चित समय पर दिए गए विदेशी विनिमय दरों पर किसी निश्चित मुद्रा के बदले किसी अन्य मुद्रा के विनिमय का अधिकार मिलता है। करेंसी ऑप्शंस में खरीदार के द्वारा बिकवाल को प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। इन उपायों का इस्तेमाल प्रतिकूल मुद्रा परिचालन और अनिश्चित विदेशी मुद्रा विनिमय जोखिम से विदेशी मुद्रा कारोबार को सुरक्षा प्रदान करने में किया जाता है। इसमें हेजिंग करने की कीमतों को भी काफी कम रखा जाता है। चूंकि किसी ऑप्शंस की बिक्री के साथ तमाम अनिश्चितताएं जुड़ी होती हैं, इस लिए अधिकांश बैंक ऑप्शंस को बेचने में सक्षम होंगे। चूंकि इस कारोबार को शुरू होने में अभी छह महीनें का समय लग सकता है, इसलिए इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं कि तब तक शेयर बाजार में और ज्यादा गहराई आने की संभावना भी जताई जा रही है। इस समय केवल एक्सचेंजों में सिर्फ करेंसी फ्यूचर्स का कारोबार ही होता है। सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित करेंसी ऑप्शंस की शुरुआत करेंसी फ्यूचर्स के लॉट साइज की तरह से ही किया जा सकता है।
