रेलवे बोर्ड ने रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए), रेल इंडिया तकनीकी एवं आर्थिक सेवा (आरआईटीईएस) व भारतीय रेलवे निर्माण (आईआरसीओएन) के संयुक्त उपक्रम भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) को बंद करने का फैसला किया है। इसमें आरएलडीए की 50 प्रतिशत, आईआरसीओएन की 26 प्रतिशत और आरआईटीईएस की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आईआरएसटीडीसी शुरुआत में आईआरसीओएन और आरएलडीए का संयुक्त उद्यम था। आईआरसीओएन ने 2020 में अपनी कुछ हिस्सेदारी 48 करोड़ रुपये में बेच दी। आईआरएसडीसी को स्टेशनों के आधुनिकीकरण की परियोजना की निगरानी और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी दी गई थी। रेलवे बोर्ड के एक आदेश के मुताबिक आईआरएसडीसी द्वारा प्रबंधित सभी स्टेशनों को संबंधित जोनल मुख्यालयों को सौंपा जाएगा। जो परियोजनाएं अभी योजना के स्तर पर हैं, उन्हें जोनल रेलवे आगे बढ़ाएगा। 2012 में आईआरएसडीसी के गठन के पहले परियोजनाओं पर काम करने की यही व्यवस्था थी। आईआरएसडीसी ने हबीबगंज और गांधीनगर स्टेशनों के आधुनिकीकरण की परियोजनाओं को पूरा किया है। आईआरएसडीसी की वेबसाइट के मुताबिक बिजवासन रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का काम चल रहा है। यह उपक्रम करीब 60 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण पर विभिन्न स्तरों पर काम कर रहा है। इसमें सेवाओं सुधार, मौजूदा सुविधाओं को दुरुस्त किया जाना और आधुनिकीकरण का काम पूरा किया जाना शमिल है। वित्त मंत्रालय के मौजूदा प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की सिफारिशों की तर्ज पर इसे बंद करने का फैसला किया गया है। इसके तहत पुनर्वास के लिए आईआरएसडीसी को सौंपे गए सभी स्टेशनों को संबंधित जोनल रेलवे को सौंप दिया गया है। उनकी सिफारिशों को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समर्थन दिया और रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया गया था कि सितंबर और उसके बाद से पहले की व्यवस्था लागू की जाए। रेलवे बोर्ड को यह भी निर्देश दिया गया था कि इन सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में वह हर महीने की 5 तारीख को सूचित करे। यह रेलवे का दूसरा निकाय है, जिसे हाल में बंद किया गया है। पिछले 7 सितंबर को इंडियन रेलवे ऑर्गेनाइजेशन फॉर अल्टरनेटिव फ्यूल (आईआरओएएफ) को बंद किया गया था। इसे भी सान्याल के निर्देशों के मुताबिक बंद किया गया है, जिन्होंने रेल के निकायों को तार्किक बनाने संबंधी रिपोर्ट दी है।
