दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम और केरल उन राज्यों में हैं, जहां खाना बनाने में बिजली का इस्तेमाल बढ़ा है। ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के एक अध्ययन में यह सामने आया है। इन राज्यों के लोग रसोई गैस (एलपीजी) की जगह ई-कुकिंग उपकरण जैसे इंडक्शन कुकटॉप्स, राइस कुकर और माइक्रोवेव ओवन चुन रहे हैं। सीईईडब्ल्यू ने अध्ययन में पाया है, 'दिल्ली और तमिलनाडु में 17 प्रतिशत परिवारों ने इलेक्ट्रिक कुकिंग का कोई न कोई प्रारूप चुना है, जबकि तेलंगाना में इसकी स्वीकार्यता 15 प्रतिशत है। केरल और असम में 12 प्रतिशत लोगों ने आंशिक रूप से ई-कुकिंग चुना है।' सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में पाया गया है कि ई-कुकिंग की शहरी परिवारों में पहुंच 10.3 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों में महज 2.7 प्रतिशत है। कुल मिलाकर कुल परिवारों में महज 5 प्रतिशत ई-कुकिंग की ओर बढ़े हैं। अध्ययन में पाया गया है, 'रसोई गैस के मौजूदा भाव के हिसाब से उन परिवारों के लिए ई-कुकिंग सस्ती होगी, जिन्हें सब्सिडी पर बिजली मिल रही है। बहरहाल शुरुआती लागत और अवधारणा की बाधाओं के कारण शहरी परिवारों में इसकी सीमित पहुंच है।' घरेलू रसोई गैस सिलिंडर (14.2 किलो) की कीमत इस समय देश में सर्वोच्च स्तर पर है। राष्ट्रीय राजधानी में इसकी कीमत 884.50 रुपये प्रति सिलिंडर है। रसोई गैस अहम सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ई-कुकिंग अपनाने वाले 93 प्रतिशत लोग अभी भी एलपीजी को प्राथमिक रसोई ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और ई-कुकिंग उपकरणों का इस्तेमाल बैकप के रूप में करते हैं। सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में कहा गया है, 'बिजली से खाना बनाने का काम शहरी इलाकों के प्रभावशाली परिवारों में होता है। खासकर दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों में, जहां महाराष्ट्र जैसे राज्योंं की तुलना में बिजली की दरें बहुत कम हैं।' यह अध्ययन भारत आवासीय ऊर्जा सर्वे (आईआरईएस), 2020 पर आधारित है। यह सर्वे इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल एनर्जी पॉलिसी के साथ मिलकर किया गया। यह सर्वाधिक आबादी वाले 21 राज्यों के 152 जिलों में कुल 15,000 शहरी तथा ग्रामीण परिवारों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। सीईईडब्ल्यू में कार्यक्रम की अगुवाई करने वाली शालू अग्रवाल ने कहा, 'कम कीमत सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है जो किसी भी खाना पकाने के ईंधन को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए अपेक्षाकृत अधिक सब्सिडी वाले राज्यों में संपन्न शहरी परिवारों में ई-कुकिंग को तेजी से अपनाने की संभावना है।' अध्ययन में कहा गया है कि ऊर्जा दक्षता और कम लागत वाले उपकरणों की उपलब्धता, उपयुक्त वित्तीय समाधान तथा भरोसेमंद बिजली सेवाएुई-कुकिंग को अपनाने के लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं।
