सुजूकी मोटर कॉर्प, डेंसो कॉर्प और तोशिबा दिसंबर तक गुजरात में अपनी संयुक्त उद्यम इकाई में लिथियम-आयन सेल का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। कंपनी की योजनाओं के संबंध में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने यह जानकारी दी। यह घटनाक्रम सुजूकी की भारत की सहायक कंपनी मारुति सुजूकी को 2025 तक नई प्रौद्योगिकी वाले वाहनों को पेश करने की योजना के और नजदीक लाएगा, जिसमें हाइब्रिड और बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) भी शामिल हैं। उत्पादन ऐसे समय में शुरू होने वाला है, जब भारत में अधिकांश वाहन विनिर्माता, नीतिगत जोर और बहुत-सी प्रोत्साहन योजनाओं के बीच अपनी इलेक्ट्रिक योजनाओं में तेजी ला रहे हैं। हाल ही में टाटा मोटर्स भी इनमें शामिल हो गई है। लिथियम-आयन सेल की विनिर्माण इकाई, जो भारत में इस तरह का सबसे बड़ा संयंत्र है, वर्ष 2017 में तीन कंपनियों के बीच 1,250 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 50:40:10 वाले संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित की गई थी। इस संयुक्त उद्यम को भारत में आधुनिक रसायन सेल विनिर्माण के लिए सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत छूट मिलने की भी उम्मीद है। लिथियम-आयन सेल किसी इलेक्ट्रिक वाहन का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता फिलहाल चीन से बैटरी और सेल खरीदते हैं, जो विश्व में लिथियम-आयन सेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। सूत्र ने कहा कि टोयोटा और सुजूकी के इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मॉडलों की आगामी शृंखला की जरूरतों को पूरा करने के अलावा यह इकाई अन्य फर्मों को भी आपूर्ति कर सकती है और निर्यात बाजार पर भी ध्यान दे सकती है। मारुति सुजूकी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा 'हम वर्ष 2025 तक कोई इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने की योजना बना रहे हैं। इस दिशा में सुजूकी और टोयोटा के बीच संयुक्त रूप से प्रोटोटाइप परीक्षण की कवायद की जाएगी।' एंटीक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अमित मिश्रा ने कहा कि 'कुछ अन्य भागीदारों के विपरीत, मारुति एक बॉटम-अप रणनीति का पालन करती है और इसने अधिक स्थानीयकरण पर जोर दिया है। यह उनके विद्युतीकरण के दृष्टिकोण में भी स्पष्ट होता है, क्योंकि सुजूकी पहले ही गुजरात में लिथियम-आयन बैटरी संयंत्र में निवेश कर चुकी है।' मिश्रा ने कहा कि मारुति हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के अन्य महत्त्वपूर्ण पूर्जों का स्थानीयकरण करने के लिए अपनी योजनाओं पर काम कर रही है, जो इन आधुनिक तकनीकों को भारतीय ग्राहकों के लिए किफायती और सुलभ बना देगा। उन्होंने कहा कि स्थानीयकरण पर मारुति के अधिक जोर दिए जाने से भारत में आधुनिक वाहन प्रौद्योगिकियों की आपूर्ति शृंखला विकसित करने में मदद मिलेगी। हाल ही में टाटा समूह की प्रमुख कंपनी ने कहा था कि वह इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी में टीपीजी राइज क्लाइमेट के साथ-साथ इसकी सह-निवेशक एडीक्यू से अपने करार के रूप में एक अरब डॉलर (7,500 करोड़ रुपये) जुटाएगी। यह निवेश 9.1 अरब डॉलर (67,349 करोड़ रुपये) तक के इक्विटी मूल्यांकन के रूप में सामने आएगा। कुछ लोगों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में मारुति के देर से प्रवेश करने से टाटा मोटर्स को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा, जो कि किफायती इलेक्ट्रिक कारों की शृंखला का निर्माण कर रही है।
