अप्रत्यक्ष कर भुगतान में तेजी, कर अनुपालन में सुधार और महामारी की दूसरी लहर के बाद अधिकांश क्षेत्रों में सुधार की बदौलत चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का कर संग्रह 22.2 लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य से पार निकल सकता है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट कर संग्रह रिफंड के बाद 75 फीसदी बढ़कर 5.70 लाख करोड़ रुपये रहा। अग्रिम कर और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) भुगतान में तेजी से कर संग्रह बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में इस मद में 11.08 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया है और ज्यादातर भुगतान आम तौर पर वित्त वर्ष के अंत में किया जाता है। इसी तरह त्योहारी महीना और ग्राहकों का खर्च बढऩे से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी मासिक आधार पर 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहने की उम्मीद है। पेट्रोल और डीजल से भी सरकार को अच्छा-खासा उत्पाद शुल्क लगातार मिल रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'आने वाली तिमाही में कर संग्रह के आंकड़ों में और इजाफा होने की उम्मीद है क्योंकि कंपनियां तीसरी और चौथी तिमाही में ज्यादा कर का भुगतान करती हैं।' उन्होंने कहा कि कंपनियों ने अभी तक तीसरी लहर की आशंका के बीच सतर्कता के साथ कर का भुगतान किया है मगर टीकाकरण में तेजी से महामारी की अगली लहर का ज्यादा असर होने की आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह अगले वित्त वर्ष से हर महीने 1.5 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर रह सकता है। 2021-22 के बजट में 22.17 लाख करोड़ राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा गया था। चालू वित्त वर्ष में राज्यों को भुगतान के बाद केंद्र का शुद्घ कर राजस्व 15.45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। केंद्र को जीएसटी से इस वित्त वर्ष में 6.30 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों को भी लगता है कि कर संग्रह वित्त वर्ष 2022 के बजट अनुमान से अधिक रहेगा। भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, 'हमारे अनुमान से चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह बजट अनुमान से 2.5 लाख करोड़ रुपये ज्यादा रह सकता है और कुल कर संग्रह 24 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में जोरदार वृद्घि से कर संग्रह में बढ़ोतरी की उम्मीद है।' प्रत्यक्ष कर संग्रह 5.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें 3.03 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट कर और 2.67 लाख करोड़ रुपये व्यक्तिगत आयकर एवं प्रतिभूति लेन-देन कर शामिल है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कॉर्पोरेट कर संग्रह 5.47 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आय कर मद में 5.61 लाख करोड़ रुपये संग्रह का लक्ष्य रखा है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड समायोजन से पूर्व) 47 फीसदी बढ़कर 6.46 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4.39 लाख करोड़ रुपये था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान सकल कर संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16.75 फीसदी बढ़कर 5.53 लाख करोड़ रुपये रहा। अप्रत्यक्ष कर संग्रह में सकल जीएसटी का औसत मासिक संग्रह दूसरी तिमाही में 5 फीसदी बढ़कर 1.15 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पहली तिमाही में 1.10 लाख करोड़ रुपये था। लगातार तीसरे महीने सितंबर में जीएसटी संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। अर्थव्यवस्था में सुधार, कर चोरी रोकने के उपायों, विशेष तौर पर फर्जी बिलों पर अंकुश से जीएसटी संग्रह बढ़ाने में मदद मिली है। इस बीच केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक 1.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था, जो पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों के 1 लाख करोड़ रुपये से 37 फीसदी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने पर केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.97 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.83 रुपये से बढ़ाकर 31.8 रुपये प्रति लीटर कर दिया था।
