कोविड और पर्यावरण से जुड़े नियमों की वजह से आर्थिक दबाव से जूझ रहे तमिलनाडु के पटाखा निर्माण उद्योग की समस्याओं पर जोर देते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध न लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध उचित नहीं है। इंडियन फायरवक्र्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीआईएफएमए) के मुताबिक इन क्षेत्रों में प्रतिबंध की वजह से दीवाली के आगामी सीजन में 600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र में स्टालिन ने कहा, 'मुझे पता चला है कि आपकी सरकार ने त्योहार के सीजन के दौरान पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। मैं इस तथ्य की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं कि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा दिया है और अब काफी कम उत्सर्जन वाले हरित पटाखों का निर्माण किया जा रहा है। इसलिए पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं है।' स्टालिन ने कहा कि राज्य में पटाखा निर्माण उद्योग में शामिल लगभग आठ लाख श्रमिकों की आजीविका दांव पर है और उन्होंने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों से कहा कि पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं है और उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा निर्धारित मानदंडों के भीतर आने वाले पटाखों की बिक्री को संबंधित राज्यों में अनुमति दी जा सकती है। तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में मौजूद शिवकाशी शहर का देश में बनने वाले पटाखों में 90 फीसदी का योगदान है और प्रत्यक्ष तरीके से तीन लाख और अप्रत्यक्ष तरीके से 5 लाख लोगों को नौकरी मिली हुई है। महामारी से पहले इस उद्योग का दायरा 3,000 करोड़ रुपये था जो अब कम होकर 1,500 करोड़ रुपये तक हो गया है। इस उद्योग से जुड़ी संस्थाओं के मुताबिक, कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी शिवकाशी क्षेत्र में परिचालन लागत प्रभावित हुई है मसलन एल्युमीनियम की कीमतों में 30 प्रतिशत, सल्फर की कीमतों में 100 फीसदी और कागज और कागज से बने उत्पादों में 40-60 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। उद्योग संस्थाओं का कहना है कि पिछले एक साल में 200 पटाखा निर्माण इकाइयां बंद हो गई। चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में स्टालिन ने बताया कि कोविड-19 महामारी का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि देश और तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था काफी हद तक विकास और रोजगार के लिए एमएसएमई पर निर्भर है और इस प्रतिबंध का प्रभाव दोनों पर काफी गंभीर रहा है। स्टालिन ने कहा, 'अगर अन्य राज्यों द्वारा भी इस तरह का प्रतिबंध लगाया जाता है तो पूरे उद्योग को बंद करना पड़ेगा, जिससे लगभग आठ लाख लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। मैं पूरी गंभीरता से आपसे पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं समझता हूं कि आपने वायु प्रदूषण के बारे में चिंताओं के आधार पर यह निर्णय लिया है। मेरा अनुरोध है कि उच्चतम न्यायालय और एनजीटी द्वारा निर्धारित मानदंडों के भीतर आने वाले पटाखों की बिक्री की अनुमति संबंधित राज्यों में दी जा सकती है।'
