अक्टूबर में बिजली आपूर्ति का बुरा हाल | रॉयटर्स / चेन्नई October 13, 2021 | | | | |
कोयले की कमी की वजह से अक्टूबर महीने के पहले 12 दिनों में भारत में बिजली की आपूर्ति, मांग से करीब 7,500 लाख यूनिट कम रही है। ग्रिड नियामक पीओएसओसीओ के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान आपूर्ति, मांग से 1.6 प्रतिशत कम रही है, जो मार्च, 2016 के बाद सबसे बुरी स्थिति है।
कुल मिलाकर अक्टूबर में बिजली की आपूर्ति में कमी नवंबर, 2018 के बाद से सबसे बड़ी कमी है, जबकि महीने में अभी 19 दिन बचे हैं। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारत के राज्यों और झारखंड और बिहार जैसे पूर्वी भारत के राज्यों पर सबसे बुरा असर पड़ा है। इन राज्यों में आपूर्ति 2.3 से लेकर 14.7 प्रतिशत तक कम रही है। कोरोनावायरस महामाही के बाद बढ़ी आर्थिक गतिविधियों के कारण कोयले की मांग बढ़ी है और इसकी आपूर्ति मांग के मुताबिक नहीं है। इसकी वजह से बिहार, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों को रोजाना 14 घंटे तक बिजली की कटौती करनी पड़ रही है।
भारत ने अपने बिजली उत्पादकों से कोयले की कुल जरूरत का 10 प्रतिशत आयात करने को कहा है, जिससे उसे घरेलू कोयले में मिलाया जा सके। साथ ही राज्यों को चेतावनी दी गई है कि अगर राज्य बिजली एक्सचेंजों में नकदी के लिए बिजली बेचते हैं तो उनकी आपूर्ति में कटौती की जाएगी।
आंकड़ों से पता चलता है कि कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों पर भारत की निर्भरता अक्टूबर में बढ़कर 69.6 प्रतिशत हो गई है, जो सितंबर में 66.5 प्रतिशत थी। इसकी वजह से कोयले की मांग और बढ़ गई है। पवन और पनबिजली जैसे स्रोतों से बिजली उत्पादन कम होने की वजह से कोयला आधारित संयंत्रों से मांग बढ़ी है।
भारत में कोयले से चलने वाले 135 बिजली संयंत्रों में से 60 प्रतिशत संयंत्रों में 3 दिन से भी कम के लिए ईंधन शेष है। अक्टूबर महीने में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी घटकर 8.34 प्रतिशत रह गई है, जो सितंबर में 11.33 प्रतिशत थी। पनबिजली का उत्पादन 1.3 प्रतिशत गिरा है।
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