श्रेय को आरबीआई ने चेताया था कई बार | अनूप रॉय और ईशिता आयान दत्त / मुंबई/कोलकाता October 11, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 4 अक्टूबर केा श्रेय समूह की दो कंपनियों के निदेशक मंडल को हटाए जाने की कार्रवाई करने से पहले समूह के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ कई बैठकें कीं थी और इसके बाद पत्र भेजे गए थे जिनमें कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार सहित विभिन्न पर्यवेक्षी निर्देशों काअनुपालन करने की सलाह दी गई थी। इस घटनाक्रम के करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
समूह को भेजे गए अपने पत्रों में विनियामक ने विभिन्नता के लिए अतिरिक्त प्रावधान, नई पूंजी डालने, इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी (आईएफसी) की स्थिति के लिए जरूरी परिसंपत्ति मानदंड को पूरा करने से संबंधित मसलों को उठाया था। सूत्रों का कहना है कि लगभग सभी पत्रों में कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार पर जोर दिया गया था, जिस पर विनियामक गंभीर रूप से चिंतित था।
आरबीआई द्वारा कुछ शीर्ष एनबीएफसी की त्रुटियों के संबंध में पर्यवेक्षकों की एक टीम ने श्रेय की बारीकी से जांच करते हुए पया कि आरबीआई के लेखा परीक्षकों द्वारा बताई गई अनियमितताओं और विनियामक द्वारा बार-बार दी गई चेतावनियों के बावजूद समूह अपनी दो पैरा बैंकिंग इकाइयों - श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस (एसआईएफएल) और श्रेय इक्विपमेंट फाइनैंस (एसईएफएल) के संबंध में चूक करता रहा।
श्रेय उन कुछ शीर्ष एनबीएफसी में से एक थी जिनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा पर आरबीआई का लगातार ध्यान केंद्रित था। हालांकि विनियामक ने एनबीएफसी कंपनियों के लिए उस शब्द का कभी इस्तेमाल नहीं किया।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने पर्यवेक्षकों द्वारा उठाई गई उन प्रमुख चिंताओं की समीक्षा की है, जो श्रेय समूह की दो कंपनियों के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई का आधार बनी हैं। इस समाचार पत्र ने श्रेय समूह के संस्थापक हेमंत कनोडिय़ा को एक विस्तृत प्रश्नावली भेजी थी, जिसमें आरबीआई के पर्यवेक्षी दल की चिंताओं को शामिल किया गया था। कनोडिय़ा ने किसी भी गलत काम से इनकार करते हुए सभी बिंदुओं का जवाब दिया।
कनोडिय़ा ने अपने जवाब में कहा 'श्रेय इन्फ्रा और श्रेय इक्विपमेंट, दोनों के ही निदेशक मंडल अत्यधिक प्रतिष्ठित और अनुभवी पेशेवर लोगों से गठित हैं, इसलिए शून्य गैर-अनुपालन संस्कृति रही है। श्रेय को अपनी अनुपालन संस्कृति के लिए कई शाबाशियां मिल चुकी हैं। इस संबंध में ज्यों ही किसी बिंदु को उजागर किया गया है, उसका जवाब दिया गया है और अनुपालन किया गया है।'
श्रेय का प्रबंधन आरबीआई की कार्रवाई से स्तंभित था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसके खिलाफ मामला बढ़ता ही जा रहा था। श्रेय की एक प्रवर्तक कंपनी ने 6 अक्टूबर को बंबई उच्च न्यायालय में विनियामक के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद आरबीआई ने एसआईएफएल और एसईएफएल के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के कोलकाता पीठ का रुख किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
श्रेय के लेखा परीक्षकों ने काफी पहले ही कंपनी की हालत में भारी गिरावट की चेतावनी दी थी, जिसने आरबीआई को समूह पर करीब से नजर रखने और नवंबर 2020 में एक विशेष लेखा जांच शुरू करने के लिए प्रेरित किया। आरबीआई के लेखा परीक्षकों ने 31 मार्च, 2021 तक समूह में 8,576 करोड़ रुपये के संबंधित पक्ष की लेनदेन को चिह्नित किया था।
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