प्रतिस्पर्धा से इंडिगो, स्पाइसजेट पर पड़ेगा दबाव | राम प्रसाद साहू / मुंबई October 10, 2021 | | | | |
टाटा समूह द्वारा 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया का अधिग्रहण किए जाने से सूचीबद्घ विमानन शेयरों पर दबाव पड़ सकता है, क्योंकि इससे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी दबाव गहरा सकता है। एयर इंडिया, एयर एशिया और विस्तारा की संयुक्त बाजार भागीदारी अगस्त 2021 तक 26.7 प्रतिशत थी।
विश्लेषकों का कहना है कि बाजार दिग्गज इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) के मुकाबले स्पाइसजेट शेयर पर प्रभाव ज्यादा रह सकता है। स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा का कहना है, 'स्पाइसजेट बोलीदाता थी और उसके विफल रहने से बाजार धारणा पर दबाव पड़ेगा। इसके अलावा, बढ़ते प्रतिस्पर्धी दबाव का भी कंपनी पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि बाजार भागीदारी और बैलेंस शीट क्षमता के संदर्भ में दो सूचीबद्घ कंपनियों में कमजोर है।'
जहां अल्पावधि प्रभाव ज्यादा गंभीर नहीं रह सकता है, वहीं कई विश्लेषकों और उद्योग जानकारों का मानना है कि मध्यावधि से दीर्घावधि में इस क्षेत्र को कई कंपनियों के प्रवेश की वजह से बाजार भागीदारी को लेकर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इस क्षेत्र में नई कंपनियां हैं जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेट एयरवेज), जिसके द्वारा 2022 की पहली तिमाही तक घरेलू उड़ानें शुरू किए जाने की संभावना है। इसके अलावा राकेश झुनझुनवाला समर्थित आकाशा द्वारा भी अगले साल अप्रैल तक परिचालन शुरू किए जाने की संभावना है।
क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवायजरी में प्रैक्टिस लीडर एवं निदेशक (ट्रांसपोर्ट ऐंड मोबिलिटी) जगन्नारायणन पदमनाभन का कहना है, 'आगे चलकर प्रतिस्पर्धा बढऩे की आशंका है। कंपनियों को कीमत युद्घ में नहीं फंसना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र अब उस अनिश्चितता से उबर रहा है, जो बढ़ती लागत के साथ मार्जिन दबाव भी पैदा कर सकती है। बाजार भागीदारी और वृद्घि के लिए प्रतिस्पर्धा से एयरलाइन की वित्तीय स्थिति पर ज्यादा दबाव नहीं पडऩे का अनुमान है।'
विश्लेषकों ने जेट एयरवेज और किफायती एयरलाइनों के बीच प्रतिस्पर्धा के परिणाम पर ध्यान केंद्रित किया है जिससे जेट के बंद होने की नौबत पैदा हुई थी। जहां इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी दबाव बढ़ेगा, वहीं क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवायजरी के पदमनाभन का मानना है कि ऐसे कुछ सकारात्मक बदलाव भी हैं जिनसे टाटा समूह को फायदा हो सकता है। फुल सर्विस करियर या एफसीसी सेगमेंट में व्यावसायिक अवसर है, क्योंकि विस्तारा और एयर इंडिया इस सेगमेंट में परिचालन करने वाली एकमात्र दो कंपनियां हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर लंबे परिचालन से कंपनी को मदद मिल सकती है, क्योंकि इन रूटों पर कीमत प्रतिस्पर्धा कम तीव्र है। मुख्य लाभ प्राइम स्लॉट से होगा।
साथ ही, जहां एयर इंडिया को नुकसान का सामना करना पड़ा है, वहीं उसकी सभी सहायक इकाइयां घाटे में नहीं चल रही हैं। कंपनी की कोच्चि में मुख्यालय वाली सस्ती सहायक इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस मुनाफे में रही है। जहां वित्त वर्ष 2021 इस क्षेत्र के लिए अपवाद रहा, वहीं एयर इंडिया एक्सप्रेस (एआईई) ने वित्त वर्ष 2020 तक पिछले पांच साल में हर साल शुद्घ लाभ दर्ज किया। भले ही उसकी पैतृक ने वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2020 में करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया, लेकिन एआईई ने वित्त वर्ष 2020 में 412 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2019 में 161 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ दर्ज किया। एयर इंडिया के समेकित वित्तीय विवरणों के अनुसार, एआईई को वित्त वर्ष 2021 की समाप्ति तक सकारात्मक नेटवर्थ की स्थिति में होना चाहिए, लेकिन हवाई यात्रा उद्योग में बड़ी गिरावट के लिए कोविड-19 महामारी को जिम्मेदार माना जा रहा है।
विभिन्न लाभ के बावजूद, देश में टाटा समूह की एयरलाइन कंपनियों के लिए कई चुनौतियां भी हैं। विमानन क्षेत्र के एक कंसल्टेंट का कहना है कि कई आपूर्तिकर्ताओं और एयर इंडिया के 141 विमानों और विस्तारा तथा एयर एशिया के विमानों से संबंधित कॉन्फिगुरेशन (बोइंग, एयरबस, एटीआर) के साथ समावेशन की सफलता कंपनी की स्वयं को अलग करने, तर्कसंगत कीमतों को अपनाने, और ग्राहकों पर ध्यान देने की क्षमता पर निर्भर करेगी।
हालांकि 18,000 करोड़ रुपये के भुगतान को देखते हुए, कर्ज में भारी कमी से 4,100 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत बचाने में मदद मिलेगी, लेकिन नई मालिक को पहले दिन से नकदी प्रवाह को लेकर सतर्कता बरने की जरूरत होगी, जबकि एयरलाइन को परिचालन/कर्मचारी वेतन पर लगातार खर्च करना होगा।
बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों (कुल लागत का 40 प्रतिशत) के बीच इस क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धी चुनौतियां बनी हुई हैं और हालात कोविड-पूर्व स्तर पर अभी नहीं आए हैं। यही वजह है कि कई विश्लेषकों ने निवेशकों को सूचीबद्घ विमानन शेयरों से दूरी बनी रखने की सलाह दी है।
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