विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिकांश कर्ज और देयता को भारत सरकार द्वारा अपने ऊपर लिए जाने से टाटा संस के लिए विमान कंपनी के वित्त की स्थिति में बदलाव करना कहीं ज्यादा आसान हो जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों में समेकित आधार पर एयर इंडिया की दो प्रतिशत से भी कम संचयी शुद्ध हानि की वजह परिचालन घाटा थी, बाकी की वजह कर्ज पर ब्याज और विमान कंपनी द्वारा अपने बेड़े का विस्तार करने के लिए खरीदे गए विमान के लिए मूल्यह्रास भत्ता थी। एयर इंडिया ने समेकित आधार पर वित्त वर्ष 20 में 1,787 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ दर्ज किया था, लेकिन ब्याज और मूल्यह्रास की लागत के कारण इसने 7,427 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था। वित्त वर्ष 20 में विमान कंपनी की ब्याज और मूल्यह्रास लागत क्रमश: 4,419 करोड़ रुपये और 4,795 करोड़ रुपये थी। वास्तव में एयर इंडिया ने पिछले पांच वर्षों में से तीन वर्षों के दौरान राजस्व में वृद्धि और विमानन टरबाइन ईंधन के नरम दामों के संयोजन के कारण परिचालन लाभ दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2021 के संबंध में एयर इंडिया द्वारा किए गए वित्त की लेखा परीक्षा की जानकारी उपलब्ध नहीं है। कोविड-19 की वजह से वैश्विक स्तर पर हुए लॉकडाउन के कारण विमान कंपनी के वित्त वर्ष 21 के आंकड़े पिछले आंकड़ों से तुलना करने लायक नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार एयर इंडिया ने वित्त वर्ष 21 में 12,139 करोड़ की शुद्ध बिक्री और 9,779 करोड़ रुपये की शुद्ध हानि दर्ज की है। एयर इंडिया को मार्च 2020 को समाप्त हुए 10 वर्षों के दौरान लगभग 65,600 रुपये का संचयी शुद्ध घाटा हुआ, लेकिन इस अवधि के दौरान संचयी परिचालन हानि केवल 917 करोड़ रुपये ही थी। शेष भाग में ब्याज (34,900 करोड़ रुपये) और मूल्यह्रास भत्ते (21,200 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी रही। विनिवेश योजना के अनुसार एयर इंडिया का केवल एक तिमाही का कर्ज ही नए मालिक को हस्तांतरित किया जाएगा और शेष कर्ज की जिम्मेदारी सरकार की होगी। समेकित आधार पर मार्च 2020 तक एयर इंडिया पर लगभग 62,300 करोड़ रुपये कुल कर्ज था।
