फिल्म वॉल स्ट्रीट में हाल होलब्रुक चार्ली शीन से कहते हैं, 'पैसे के बारे में सबसे अहम बात यह है दोस्त कि यह आपसे वह काम कराता है जो आप नहीं करना चाहते।' यह फिल्म लालच और वित्तीय जगत को लेकर एक नैतिक संदेश देती थी लेकिन यह अनचाहे ही असली दुनिया के वॉल स्ट्रीट का विज्ञापन बन गई। नैतिकता और वित्त की बातें बहुत हो चुकीं लेकिन जब पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कर वंचना की 'पैंडोरा' सूची जारी की तो जवाबदेही वक्त की जरूरत बन गई। लेकिन बदले में पाखंड मिल रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कांग्रेस को संबोधित करते हुए स्विटजरलैंड, केमैन आइलैंड्स तथा कुछ अन्य देशों को कर वंचना का केंद्र बताया। लेकिन वह डेलावेयर और साउथ डकोटा जैसे अमेरिकी राज्यों को भूल गए जो कर वंचना के लिए मुफीद हैं और एक तरह से नए स्विटजरलैंड हैं। जबकि वास्तविक स्विट्जरलैंड ने भ्रष्ट नकदी के लिए अपनी बैंकिंग गोपनीयता समाप्त कर दी है। यह सही है कि अमेरिका ने विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम का इस्तेमाल इसलिए किया है कि अन्य देश अमेरिकी नागरिकों की वित्तीय परिसंपत्तियों के बारे में जानकारी दें जबकि बदले में वह अपनी ओर से ऐसे ही अनुपालन के खिलाफ है। ब्रिटेन के विदेशी क्षेत्र तथा बरमूडा और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड जैसे शाही स्वशासी क्षेत्र अहम टैक्स हेवन (ऐसी जगह जहां कर बचाना आसान होता है) केंद्र हैं जिसके परिणामस्वरूप स्वयं ब्रिटेन कर राजस्व के मामले में अहम नुकसान उठाने वाला देश है। पैंडोरा सूची में नाम आने के कारण जहां कंजरवेटिव और लेबर पार्टी के राजनेता एक दूसरे पर अंगुली उठा रहे हैं, वहीं कर वंचना दूर करने के लिए नया कानून अभी भी अटका हुआ है। रूस के एक विवादित कारोबारी ने ब्रिटेन और फ्रांस के बीच ऊर्जा लिंक को मंजूरी दिलाने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के लगभग हर 10वें सांसद को पैसा दान में दिया है। भारत उन्हें कुछ सिखा सकता है: उसने मॉरीशस से जुड़ी कर संबंधी खामी दूर की, जबकि उसने राजनीतिक दलों को अवैध विदेशी फंडिंग को पुरानी तिथि से विधि सम्मत ठहराया। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना किसी भी तरह के खुलासे से साफ बच निकलती है और राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी खर्च की कोई सीमा नहीं है। लोग कई वजहों से टैक्स हेवन में पैसा जमा करते हैं। गोपनीयता, आपराधिकता, कर वंचना, ट्रस्ट के जरिये परिसंपत्ति निर्माण और अधिनायकवादी देशों में सत्ता परिवर्तन से सुरक्षित रहने की कोशिश ऐसी ही कुछ वजह हैं। इसका कुछ हिस्सा कानूनी है, भले ही वह अनैतिक हो। कई बार आपको टैक्स हेवन की जरूरत भी नहीं होती। एमेजॉन के जेफ बेजोस और टेस्ला के एलन मस्क ने कुछ वर्षों तक बहुत कम या न के बराबर टैक्स दिया। परंतु सुधारात्मक उपाय भी शुरू हुए हैं। कर हेवन या कम कर दर वाली जगहों मसलन आयरलैंड आदि में गोपनीय कंपनियों को 15 फीसदी न्यूनतम कॉर्पोरेट मुनाफा कर के अंतरराष्ट्रीय कदम को मानना होगा। सूची में शामिल भारतीयों की बात करें तो उनमें से अधिकांश अपेक्षाकृत छोटे कारोबारी हैं। बड़े कारोबारी या तो निर्दोष हैं या अभी उनका नाम सामने आना है। कई अनिवासी भारतीय हैं और उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। परंतु कुछ ऐसे जाने माने कारोबारी जिन्होंने स्वयं को दिवालिया घोषित कर दिया है उनके पास टैक्स हेवन में काफी संपत्ति का पता चला है। अधिक अहम यह है कि हाल के वर्षों में हजारों नवधनाढ्य भारतीयों ने अनिवासी का दर्जा ले लिया है। उन्होंने अपना कुछ पैसा दुबई जैसे टैक्स हेवन में स्थानांतरित भी किया है। कानाफूसी है कि उन्होंने इसके लिए शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छ हवा तथा अनुकूल कर प्रणाली तक को वजह बताया। यदि नैतिकता की बात छोड़ दी जाए तो क्या यह सब वृहद आर्थिक संदर्भ में भी अहम है? अनुमान है कि 5.6 लाख करोड़ डॉलर से 32 लाख करोड़ डॉलर की राशि टैक्स हेवन में जमा है। यह आंकड़ा आपकी आंखे चौंधिया सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक पर्चे ने कुछ वर्ष पहले 500 से 700 अरब डॉलर के कर राजस्व के नुकसान का अनुमान जताया था। यह राशि बहुत अधिक है लेकिन वैश्विक जीडीपी के एक फीसदी से भी कम है। यदि अमेरिका और ब्रिटेन अपनी खामियां दूर करते हैं तो इसमें और कमी आएगी। उनकी कर प्रणाली सबसे अधिक लाभान्वित हो सकती है। लेकिन यह अमीरों का खेल है और अमीर देशों की सरकारों में भी भागीदारी की इच्छा होनी चाहिए। फिल्म काबारेट में लिजा मिनेली और जोएल ग्रे एक गीत गाते हैं जिसका भावार्थ यह है कि यह दुनिया पैसे पर, उसकी खनकती हुई आवाज पर चलती है।
